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Commodity market : प्याज खरीद पर आर-पार, बॉम्‍बे हाई कोर्ट पहुंचा किसान

Commodity market : NAFED और NCCF में खरीद में धांधली के आरोप लगाते हुए किसानों की तरफ से एफआईआर भी दर्ज हुई है। प्याज खरीद मामले में कई तरह के वित्‍तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। खरीद प्रक्रिया पारदर्शी न होने के भी आरोप लगाए गए हैं। किसान अच्छे दाम की गारंटी चाहते हैं

अपडेटेड Aug 29, 2025 पर 2:10 PM
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NAFED के एमडी दीपक अग्रवाल ने कहा कि प्याज एक ऐसी कमोडिटी है जिसकी सेल्फ लाइफ बहुत ज्यादा नहीं होती। जिस एफआईआर की बात हो रही है वह प्याज को प्रोक्योरमेंट से संबंधित नहीं है

Commodity market : प्याज खरीद के मुद्दे पर चिंता बढ़ गई है। इस मुद्दे पर तमाम कंट्रोवर्सी देखने को मिल रही है। प्याज खरीद के मुद्दे पर किसानों ने नेफेड पर गंभीर आरोप लगाएं है। NAFED और NCCF में खरीद में धांधली के आरोप लगाते हुए किसानों की तरफ से एफआईआर भी दर्ज हुई है। प्याज खरीद मामले में कई तरह के वित्‍तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। खरीद प्रक्रिया पारदर्शी न होने के भी आरोप लगाए गए हैं। किसान अच्छे दाम की गारंटी चाहते हैं।

इस मुद्दे पर बात करते हुए NAFED के एमडी दीपक अग्रवाल ने कहा कि प्याज एक ऐसी कमोडिटी है जिसकी सेल्फ लाइफ बहुत ज्यादा नहीं होती। उसकी खरीद और बिक्री का पूरा चक्र ही 3-4 महीने का होता है। इसका स्टोरेज भी कोल्ड स्टोरेज में न हो कर अलग तरीके से होता है। जिस एफआईआर की बात हो रही है वह प्याज को प्रोक्योरमेंट से संबंधित नहीं है। इस बार प्याज की खरीद सुचारु तरीके से करने के लिए सिर्फ 25 सोसाइटीज को मंजूरी दी थी, जिनकी संख्या पहले ज्यादा होती थी। इसमें से एक सोसाइटी की मान्यता समाप्त हो गई थी। लेकिन इसकी जानकारी नेफेड को नहीं दी गई। लेकिन ये जानकारी मिलते ही नेफेड ने उक्त सोसाइटी के खिलाफ पुलिस में शिकायत की उसका सारा स्टॉक नेफेड की कस्टडी में ले लिया गया। इस पूरी प्रकिया में किसानों और खरीदे गए प्याज का कोई भी नुकसान नहीं हुआ है।

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गौरतलब है कि महाराष्‍ट्र में प्‍याज की खेती करने वाले किसान विश्‍वास माधवराव मोरे, जो पिंपलगांव के रहने वाले हैं, उनकी तरफ से हाई कोर्ट में प्‍याज खरीद से जुड़ी एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मोरे ने आरोप लगाया है कि सरकारी एजेंसियां जैसे नेफेड और NCCF में खरीद में धांधली कर रही हैं। मराठी मीडिया के अनुसार मोरे की तरफ से 22 एजेंसियों को नोटिस भेजे गए हैं।  ये नोटिस प्‍याज की खरीद से जुड़ी नोडल एजेंसियों और कई सरकारी विभागों को भेजे गए हैं। मोरे की मानें तो प्‍याज खरीद में किसानों से करोड़ों रुपये लूटे जा रहे हैं।

हाल ही में इस मामले में छठी बार सुनवाई हुई है। वहीं आरोपों पर अभी तक नैफेड और NCCF ने कोई भी जवाब नहीं दिया है। किसान का कहना है कि एजेंसियों की चुप्‍पी का मकसद जानबूझकर जांच प्रक्रिया को धीमा करना  है।

 

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