Commodity market : चीनी का स्टॉक इस बार ज्यादा, क्या सरकार से मिलेगी एक्सपोर्ट की मंजूरी!

Sugar price : ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के प्रेसीडेंट प्रफुल विठलानी ने कहा कि अगर किसी देश को विकासशील से विकसित देश बनना है तो उसे अपने इंपोर्ट बिल में कटौती करनी ही होगी। भारत सबसे ज्यादा खर्च तेल के आयात पर करता है। ऐसे में डीजल और पेट्रोल में एथेनॉल के इस्तेमाल से क्रूड आयत पर निर्भरता घटेगी। वहीं, एथेनॉल की कीमत भी 8-10 फीसदी तक बढ़ेगी

अपडेटेड Aug 14, 2024 पर 5:51 PM
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चीनी से जुड़ी एक और खबर आई है। चीनी में प्लास्टिक मिला है। देश के सभी ब्रांड के चीनी में माइक्रोप्लास्टिक मिला है।‘टॉक्सिक्स लिंक' नाम के संगठन की स्टडी में ये खुलासा हुआ है

Sugar price : ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के प्रेसीडेंट प्रफुल विठलानी आज चीनी पर बात करने के लिए सीएनबीसी-आवाज़ के साथ जुड़े। इस बातचीत में उन्होंने कहा कि चीनी का स्टॉक इस बार ज्यादा है। चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 70 लाख टन तक हो सकता है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि देश में 2024-25 शुगर ईयर के लिए चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 80 से 90 साथ टन भी हो सकता है। चीनी की घरेलू जरूरत 60 लाख टन से ऊपर नहीं होती है।

प्रफुल विठलानी ने आगे कहा कि इस स्थिति में सरकार के पास दो विकल्प थे। पहला ये कि 10-15 लाख टन शुगर के एक्सपोर्ट की मंजूरी दी जाए। दूसरा ये कि अतिरिक्त शुगर जूस से एथेनॉल बनाने की मंजूरी की जाय। चूंकि अभी तक सरकार ने एक्सपोर्ट की मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में लगता है कि सरकार अतिरिक्त शुगर जूस से एथेनॉल बनाने पर काम कर रही है।

एथेनॉल की कीमत में 8-10 फीसदी तक बढ़त की उम्मीद


उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी देश को विकासशील से विकसित देश बनना है तो उसे अपने इंपोर्ट बिल में कटौती करनी ही होगी। भारत सबसे ज्यादा खर्च तेल के आयात पर करता है। ऐसे में डीजल और पेट्रोल में एथेनॉल के इस्तेमाल से क्रूड आयत पर निर्भरता घटेगी। वहीं, एथेनॉल की कीमत भी 8-10 फीसदी तक बढ़ेगी। इससे देश और शुगर मिलों दोनों को फायदा होगा। पेट्रोल में एथेनॉल ब्लेंडिंग के 20 फीसदी लक्ष्य को हासिल करने के बाद सरकार अब डीजल में एथेनॉल के इस्तेमाल की ओर बढ़ेगी।

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गन्ना रोपई में काफी कम पानी की होती है जरूरत

इस बातचीत में प्रफुल विठलानी ने आगे कहा कि अब तक लोगों में ये गलतफहमी थी कि गन्ने की रोपाई में काफी पैसा लगता है। लेकिन नई स्टडी बताती है कि गन्ना रोपई में काफी कम पानी की जरूरत होती है। गन्ना, मक्का, चावल और गेहूं के मुकाबले कम पानी सोखता है। प्रति क्यूबिक मीटर पानी में लगभग 7.14 किलो गन्ना पैदा होता है। कम पानी सोख कर गन्ना ज्यादा एथेनॉल पैदा करता है। एथेनॉल लिए कितने पानी की जरूरत होती है, इसपर नजर डालें तो गन्ने से 1 लीटर एथेनॉल उत्पादन के लिए 2 किलो लीटर पानी की जरूरत होती है। बाकी फसलों से 1 लीटर एथेनॉल उत्पादन के लिए 3 किलो लीटर पानी की जरूरत होती है।

चीनी में मिला है प्लास्टिक!

इस बीच चीनी से जुड़ी एक और खबर आई है। चीनी में प्लास्टिक मिला है। देश के सभी ब्रांड के चीनी में माइक्रोप्लास्टिक मिला है।‘टॉक्सिक्स लिंक' नाम के संगठन की स्टडी में ये खुलासा हुआ है। चीनी के अलावा नमक में भी प्लास्टिक के कण मिले हैं। बड़े, छोटे ब्रांड के पैक, खुली चीनी में प्लास्टिक मौजूद है। इस स्टडी से पता चलता है कि चीनी में 2 0.1 mm- 5 mm तक माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है।

MoneyControl News

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First Published: Aug 14, 2024 5:51 PM

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