फिजिकल खरीद का विकल्प तलाशना जरूरी है। ज्यादा बेहतर विकल्प तलाशने की जरूरत है। MSP पर कॉटन की फिजिकल खरीद होती है। सरकार ने 19 नवंबर को बैठक बुलाई है। अपील और सुझावों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई। दोपहर 12:30 बजे उद्योग भवन में बैठक होगी।
फिजिकल खरीद का विकल्प तलाशना जरूरी है। ज्यादा बेहतर विकल्प तलाशने की जरूरत है। MSP पर कॉटन की फिजिकल खरीद होती है। सरकार ने 19 नवंबर को बैठक बुलाई है। अपील और सुझावों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई। दोपहर 12:30 बजे उद्योग भवन में बैठक होगी।
क्या है CAI की दलील?
वक्त के साथ कॉटन का बाजार काफी बदला है। MSP पर खरीद कम प्रभावी होती जा रही है। किसानों को MSP का फायदा नहीं मिल रहा है। पूरा बाजार कम प्रतिस्पर्धी होता जा रहा है। 75% किसानों में जानकारी का अभाव है। किसानों में MSP के भाव की जनकारी कम है। ज्यादातर किसानों का MSP का फायदा नहीं। किसानों में तकनीकी जानकारी की भी कमी है।
CAI ने सुझाए विकल्प
CAI ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार भावांतर याजोना को लागू करे। किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम मिले। अगल अलग मंडियों से किसानों को फायदा मिले। मंडियों के जरिए 200 लाख बेस की बिक्री होती है जबकि योजना पर 1700 करोड़ खर्च होने की उम्मीद है। योजना का पैसा DBT के जरिए खातों में जाए।
CAI ने कहा कि 2024-25 में MSP पर 37450 करोड़ खर्च हुए। 2024-25 में 100 लाख बेल्स की खरीद हुई थी। सिर्फ 34% किसानों को ही MSP का फायदा मिला। अगर CCI कॉटन खरीदे तो बिक्री के दाम कम रखे। MSP से 5-7% कम भाव पर बिक्री करने की सलाह है। CCI के इस कदम से इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा।
भावांतर याजोना को किसानों को जोड़े सरकार
CAI प्रेसिडेंट अतुल गनात्रा ने कहा कि इस साल 45 लाख बेल्स कॉटन इंपोर्ट होने की उम्मीद है। इंटरनेशनल मार्केट में कॉटन सस्ता मिल रहाहै। MSP की वजह से इंडस्ट्रीज और किसान दोनों को परेशानी हो रही है। कॉटन की खरीद MSP पर न करने की सलाह है। क्योंकि 10- 15 फीसदी किसानों को ही MSP का भाव मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को चाहिए कि भावांतर याजोना को किसानों को जोड़े।
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