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Oil Price: टैरिफ की धार में तेजी से फिसला कच्चा तेल, 4% टूटकर आया $56 के पास, 17 साल पहले था $147 पर

Oil Price: अमेरिका ने चीन पर 104 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। इस ऐलान ने कच्चे तेल को ऐसा झटका दिया कि इस साल के आखिरी तक जिस भाव पर लुढ़कने का अनुमान था, वह आज ही हो गया। करीब 17 साल पहले 147 डॉलर के आस-पास रहने वाला कच्चा तेल अब 56 डॉलर के करीब आ गया है। जानिए कि इस गिरावट की वजह क्या है और अभी किस भाव तक यह गिर सकता है?

अपडेटेड Apr 09, 2025 पर 10:16 AM
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Oil Price: दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ की जंग में कच्चा तेल का भाव तेजी से नीचे उतर रहा है। यह टूटकर चार साल से अधिक समय के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। (File Photo- Pexels)

Oil Price: दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ की जंग में कच्चा तेल का भाव तेजी से नीचे उतर रहा है। यह टूटकर चार साल से अधिक समय के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। टैरिफ वार के चलते वैश्विक इकॉनमी के सुस्त होने की आशंका ने इसे तोड़ दिया है और टूटकर यह 56 डॉलर के करीब आ गया है। जुलाई 2008 में यह 147 डॉलर के आस-पास था और पिछले साल अगस्त 2024 तक यह 80 डॉलर के आस-पास था। टैरिफ के ऐलान के बाद ही यह 70 डॉलर के नीचे आया और तब से इस पर दबाव बना हुआ है।

ब्रेंट फ्यूचर्स फिलहाल -4.06% की गिरावट के साथ 60.27 डॉलर पर है जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड फ्यूचर्स 4.50% की गिरावट के साथ 56.90 डॉलर पर है। ब्रेंट क्रूड ने मार्च 2021 और डब्ल्यूटीआई ने फरवरी 2021 के बाद से सबसे निचला स्तर छुआ है। लगातार पांचवे दिन इनमें गिरावट आई है।

US vs China Tariff War: 104% टैरिफ से बढ़ा कच्चे तेल पर दबाव


अमेरिका ने बुधवार को आधी रात से चीन पर 104 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। अमेरिका ने इससे पहले चीन पर 54 फीसदी का टैरिफ लगाया था लेकिन इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी चीजों पर 34 फीसदी का जवाबी टैरिफ लगा दिया था। अमेरिका ने मंगलवार तक हटाने को कहा था और ऐसा न होने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। चीन ने अपना ऐलान वापस नहीं लिया तो अमेरिका ने चीन पर टैरिफ की दर को और बढ़ा दिया।

किस भाव तक गिरेगा Crude Oil?

Rystad Energy के वाइस प्रेसिडेंट (ऑयल कमोडिटी मार्केट्स) Ye Lin का कहना है कि टैरिफ पर चीन की आक्रामक नीतियों ने दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच किसी समझौते पर पहुंचने की आशंका कम की है। इससे दुनिया भर में आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ा है। उनका कहना है कि अगर ट्रेड वार लंबा खिंचता है तो चीन में हर दिन 50 हजार से 1 लाख बैरल तेल की डिमांड ग्रोथ पर दबाव दिख सकता है लेकिन तगड़ा राहत पैकेज राहत पैकेज घरेलू मांग को बढ़ाएगा और घाटे की भरपाई हो सकती है।

तेल की कीमतों पर तेल उत्पादक देशों के संगठन OPEC+ के मई में हर दिन उत्पादन 4.11 लाख बैरल बढ़ाने के फैसलों ने भी दबाव बनाया है जोकि पिछले हफ्ते लिया गया था। एनालिस्ट्स के मुताबिक इससे मार्केट में सरप्लस की स्थिति आ सकती है। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई दिसंबर 2025 तक प्रति बैरल 62 डॉलर और 58 डॉलर का लेवल दिखा सकता है लेकिन इस लेवल पर यह आ ही गया है। अब गोल्डमैन के अगले टारगेट 55 डॉलर और 51 डॉलर पर नजरें हैं जो दिसंबर 2026 तक का है लेकिन मौजूदा स्थिति बनी रही तो पहले भी यह लेवल दिख सकता है।

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