Crude Oil: लीबिया के तेल उत्पादन में प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक गुटों के बीच गतिरोध के कारण आधे से भी अधिक की कमी के बाद एनर्जी सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला सेक्टर रहा। ब्रेंट क्रूड ऑयल 77 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। WTI में कच्चे तेल का भाव $74 के नीचे कायम है। वहीं एमसीएक्स पर सोने का भाव 6300 के नीचे कारोबार कर रहा है। दरअसल, बाजार को अक्टूबर से सप्लाई बढ़ने की उम्मीद है। क्रूड की सप्लाई OPEC+ देश बढ़ा सकते हैं। चीन से कमजोर मांग के कारण भी दबाव कायम रहा।
गौरतलब है कि कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तीसरे महीने गिरावट जारी है। कल कच्चे तेल का भाव 2 हफ्तों के निचले स्तरों पर पहुंचा। बाजार मे सप्लाई बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। वहीं दूसरी तरफ चीन से कमजोर मांग से भी कच्चे तेल के भाव गिर रहे हैं। इधर अमेरिका में भी मांग गिरने से भी कच्चे तेल में दबाव बना। बता दें कि 18 सितंबर को अमेरिकी फेड दरों पर फैसला लेगा।
इंटरनेशनल मार्केट में आरन ओर के भाव $100/टन के नीचे फिसला है। 13 अगस्त 2024 के बाद से भाव $100 के नीचे आया है। नवंबर 2022 के बाद भाव $100 के नीचे फिसला। चीन से कमजोर मांग के कारण कीमतों में दबाव देखने को मिल रहा है। इन्वेंटरी बढ़ने से भी कीमतों पर दबाव कायम है।
ब्रेंट का भाव $70 के आसपास बना रहेगा
कच्चे तेल की आगे के चाल पर सीएनबीसी-आवाज से बात करते हुए एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि कच्चे तेल में फिलहाल सप्लाई की दिक्कत नहीं है। इसके अधिकतर जानकारों का भी मानना है कि कच्चे तेल की मांग में खास बढ़ोतरी नहीं होगी। भविष्य में कच्चे तेल की कमी हो सकती है। हालांकि कच्चे तेल की मांग कम नहीं होगी।
उन्होंने आगे कहा कि कच्चे तेल की खोज में सुस्ती आई है। अमेरिका चाहता है कि तेल की कीमत कम रहे। नरेंद्र तनेजा ने आगे कहा कि ब्रेंट का भाव $70 के आसपास बना रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि चीन में कोयले से ज्यादातर बिजली बनती है। जिसके चलते कोयला, कच्चे तेल की मांग कम नहीं होगी। कई देशों में ईवी का निर्माण कोयले से हो रहा है।
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