बदलते फैशन ट्रेंड में ऑर्गेनिक कॉटन, हेम्प फैब्रिक और वेगन लेदर की बढ़ रही मांग, जानिए इसका क्या होगा असर
देश-दुनिया में फैशन का ट्रेंड बदल रहा है। सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के प्रति लोगों की जिम्मेदारी बढ़ रही है। पर्यावरण को नुकसाने न पहुंचने वाले फैशन पर जोर दिया जा रहा है। कंपनियां सस्टेनेबल फैशन को प्रमोट कर रही हैं। कम कार्बन फुटप्रिंट वाले फैब्रिक का इस्तेमाल बढ़ा है
हेम्प फैबरिक एक बहुत पुराना और पारंपरिक फाइबर है। हेम्प Cannabis sativa नाम के पौधे से आता है। इसमें THC बहुत कम या न के बराबर होता है।
देश-दुनिया में फैशन का ट्रेंड बदल रहा है। सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के प्रति लोगों की जिम्मेदारी बढ़ रही है। पर्यावरण को नुकसाने न पहुंचने वाले फैशन पर जोर दिया जा रहा है। कंपनियां सस्टेनेबल फैशन को प्रमोट कर रही हैं। कम कार्बन फुटप्रिंट वाले फैब्रिक का इस्तेमाल बढ़ा है। हेम्प फैब्रिक, अपसाइकलिंग, ऑर्गेनिक कॉटन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्या होता है हेम्प फैब्रिक ?
यह एक बहुत पुराना और पारंपरिक फाइबर है। हेम्प Cannabis sativa नाम के पौधे से आता है। इसमें THC बहुत कम या न के बराबर होता है।
हेम्प का फाइबर पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है। इसका फाइबर कॉटन से भी मजबूत माना जाता है। कपड़ा समय के साथ नरम होता जाता है, लेकिन नरम होने के बाद भी कपड़े की मजबूती बनी रहती है। कपड़े ब्रीदेबल होते हैं जिससे गरमी कम लगती है। ये सेंसिटिव स्किन के लिए अच्छे माने जाते हैं। इसे दूसरे फाइबर्स के साथ मिलाना संभव है। गरम और ठंडे मौसम दोनों में उपयोगी होता है। टेंपरेचर को कंट्रोल करने में मदद करता है।
भारत में हेम्प का ट्रेंड खेती और टेक्सटाइल यूज में धीरे-धीरे बढ़ रहा है। हेम्प की सस्टेनेबल फैशन की मांग बढ़ रही है। हेम्प पौधे भारतीय मिट्टी के लिए भी फायदेमंद है। इसकी जड़ें मिट्टी की सेहत सुधारने में मददगार होती है।
ऑर्गेनिक कॉटन क्या है?
केमिकल, पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं होता है। प्राकृतिक खाद, कम्पोस्ट का इस्तेमाल होता है। खेती में GM बीजों का इस्तेमाल नहीं होता है। पूरी तरह से केमिकल-फ्री खेत में खेती होती है। यार्न, कपड़े को लो-इंम्पैक्ट डाई से रंगा जाता है।
ऑर्गेनिक कॉटन का फायदा यह होता है कि वह 100% ऑर्गेनिक कॉटन खाफी नरम होता है। इससे बने कपड़े सबसे ज्यादा ब्रीदेबल होते हैं । 100% ऑर्गेनिक कॉटन स्किन-फ्रेंडली होता है। सेंसिटिव स्किन के लिए अच्छा माना जाता है। बच्चों के लिए सबसे बेहतर फैब्रिक होता है।
भारत दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में बड़े स्तर पर खेती होती है। गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना में बड़े स्तर पर खेती होती है।
डेडस्टॉक फैब्रिक क्या है?
ये फैक्ट्रियों में बचे हुए कपड़े होते हैं। कपड़े बचने के कई कारण होते हैं। फैक्ट्री ने ऑर्डर से ज्यादा कपड़ा बना लिया। फैब्रिक का कलर, पैटर्न, डिजाइन ट्रेंड बदल गया। फैक्ट्री ने उत्पादन बंद ही कर दिया हो। कपड़े का साइज या रंग मैच नहीं हुआ।
फैब्रिक को फेंकने की जगह इस्तेमाल को बढ़ावा मिल रहा है। डेडस्टॉक कपड़े अक्सर सीमित मात्रा में होते हैं। ये “limited edition” फैशन के लिए आदर्श होते है। कम कीमत पर अच्छी क्वालिटी के कपड़े मिलते हैं। डेडस्टॉक फैब्रिक का अपसाइकलिंग, हैंडीक्राफ्ट में भी इस्तेमाल होता है।
वेगन लेदर क्या है?
ये असली जानवर की चमड़ी नहीं होती बल्कि सिंथेटिक या प्लांट बेस्ड मटेरियल से बनता है। लेदर के लिए जानवरों की हत्या रोकना उद्देश्य है। वेगन लेदर के 2 प्रकार है पहला सिंथेटिक वेगन लेदर और दूसरा प्लांट-बेस्ड वेगन लेदर।
सिंथेटिक वेगन लेदर, पोलीयूरीथेन (PU), पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) से बनाहोता है। दिखने में एक दम असली लेदर जैसा होता है। इसकी कीमत काफी कम होती है। इसे काफी आसानी से बनाया जा सकता है।
वहीं प्लांट-बेस्ड वेगन लेदर को बनाने में पाइनएपल की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे बनाने में मशरूम का भी इस्तेमाल होता है। इसे बनाने में मशरूम का भी इस्तेमाल होता है। सेब, केला, दूसरे फलों के छिलकों का भी इस्तेमाल होता है। पर्यावरण के लिहाज से सस्टेनेबल और बायोडिग्रेडेबल है।
बतातें चलें कि भारत में देश में वेगन लेदर की मांग धीरे धीरे बढ़ रही है। इसका सस्टेनेबल फैशन में इसका इस्तेमाल हो रहा है। हाई-एंड फैशन में इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा है। एथिकल फैशन कलेक्शन में भी ज्यादा इस्तेमाल है।
रिसायकल्ड पॉलिएस्टर क्या है?
ये एक रिसायकल्ड फैब्रिक होता है। फैब्रिक बनाने में पुरानी प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल होता है। इस्तेमाल हुए कपड़े, फैब्रिक स्क्रैप से बनाया जाता है। सिंथेटिक पॉलीमर को प्रोसेस करके यार्न बनाते हैं। फिर इस बने यार्न से कपड़ा बनाया जाता है। इसका उद्देश्य पर्यावरण को बचाना है।
बनाने में नए पॉलिएस्टर की तुलना में 70% कम एनर्जी लगती है। प्लास्टिक वेस्ट और CO₂ उत्सर्जन कम करता है। इससे बना कपड़ा हल्का, मजबूत और टिकाऊ होता है। स्पोर्ट्सवियर और आउटडोर कपड़ों में ज्यादा इस्तेमाल होता है। रीसायकलिंग से फैशन इंडस्ट्री का वेस्ट कम करता है।