Rupee hits all-time low: शुक्रवार 21 नवंबर को भारतीय रुपये में गिरावट जारी रही और यह US डॉलर के मुकाबले 89.48 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया। कमजोर रिस्क सेंटिमेंट और US फेडरल रिजर्व के रेट कट की कम होती उम्मीदों का असर उभरते हुए मार्केट की करेंसी पर पड़ा। रुपये ने 89.48 का रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ। 8 मई 2025 के बाद ये रुपये में सबसे बड़ी इंट्राडे गिरावट रही।
इंटरबैंक फॉरेक्स मार्केट में करेंसी 88.67 पर खुली और 82 पैसे गिरकर 89.50 के नए ऑल-टाइम इंट्रा-डे लो पर पहुंचकर फिर 89.40 के आसपास स्टेबल हुआ। गुरुवार को यह 20 पैसे की गिरावट के बाद 88.68 पर बंद हुआ था। इससे पहले इंट्रा-डे का रिकॉर्ड लो 88.85 30 सितंबर को पहुंचा था, जबकि पिछला ऑल-टाइम लो रिकॉर्ड 14 अक्टूबर को 88.81 पर था।
ट्रेडर्स ने कहा कि रुपये की गिरावट तब और तेज हो गई जब यह लंबे समय से इसने बचाए जा रहे लेवल 88.80 को पार किया । एक्सपोर्टर्स से मजबूत डॉलर सप्लाई की कमी और इंपोर्टर्स से लगातार हेजिंग डिमांड ने गिरावट की रफ्तार को और बढ़ा दिया।
अगस्त के आखिर में US द्वारा भारतीय एक्सपोर्ट पर भारी टैरिफ लगाने के बाद से रुपया दबाव में है। विदेशी इन्वेस्टर्स ने इस साल अब तक इंडियन इक्विटीज़ से $16.5 बिलियन निकाले हैं, जिससे यह करेंसी 2025 में एशिया में सबसे कमज़ोर परफॉर्म करने वाली करेंसी बन जाएगी।
एक प्राइवेट सेक्टर बैंक के ट्रेडर ने बताया कि “88.80 के कमजोर पड़ने के बाद वॉल्यूम तेज़ी से बढ़ा,” जो मुख्य सपोर्ट लेवल टूटने के बाद बढ़ी एक्टिविटी का संकेत है।
कोटक सिक्योरिटीज में करेंसी, कमोडिटी और इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स के रिसर्च हेड अनिंद्य बनर्जी ने कहा, “क्रिप्टोकरेंसी और AI-लिंक्ड टेक्नोलॉजी स्टॉक्स में रात भर हुई भारी बिकवाली के बाद ग्लोबल रिस्क-ऑफ सेंटिमेंट करेंसी मार्केट में भी फैल गया है। रिस्क ट्रेड्स के अचानक बंद होने से उभरते मार्केट की करेंसी पर असर पड़ रहा है, जिसमें भारतीय रुपया भी शामिल है।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रस्तावित भारत-US ट्रेड डील को लेकर बनी अनिश्चितता से दबाव और बढ़ रहा है, जिससे मार्केट को उम्मीद थी कि इससे दोनों देशों के आर्थिक हालात पर क्लैरिटी मिलेगी। “कोई पक्की टाइमलाइन सामने नहीं आने से, सेंटिमेंट अभी भी नाजुक बना हुआ है।”