eNAM के 7 साल का सफर: क्या अपना मकसद पूरा करने में कामयाब रही ये पॉलिसी

देश के क्षेत्रफल, किसानों की समस्य़ाओं और भारत में कृषि उपज की मात्रा को देखते हुए 7 साल में eNAM की सफलता बहुत मामूली मालूम देती है। लेकिन समस्याओं के स्केल और उसकी चुनौतियों को देखते हुए इस प्लेटफॉर्म की आंशिक सफलता भी सराहनीय है

अपडेटेड Apr 14, 2023 पर 1:52 PM
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eNAM के दो हिस्से हैं- पहला, इलेक्ट्रॉनिक और दूसरा, राष्ट्रीय कृषि बाजार। नाम से ही जाहिर है कि यह प्लेटफॉर्म पूरे देश को एक कृषि बाजार के तौर पर विकसित करने के लक्ष्य के साथ तैयार किया गया है

आज से ठीक 7 साल पहले 14 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM) की शुरुआत की थी। वादा था पूरे देश को एक मंडी का स्वरूप देने का। यह कई मायनों में एक क्रांतिकारी शुरुआत थी, जिसमें देश की एग्री मार्केटिंग को बदल देने की कुव्वत है। लेकिन आज जबकि इस पहल को 7 साल पूरे हो चुके हैं, यह सही वक्त है इस बात का जायजा लेने का कि वास्तव में eNAM परियोजना कहां तक पहुंची है?

सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि eNAM है क्या और यह किस तरह देश के एग्री मार्केटिंग परिदृश्य को बदल सकता है। इसके बाद हम इसकी सफलता के मानकों को समझेंगे और उन्हीं मानकों की कसौटी पर इस प्रोजेक्ट की सफलता का आकलन करेंगे।

वर्तमान व्यवस्था के मुताबिक देश के अलग-अलग राज्यों में एक निश्चित स्थान पर मंडियां बनी हैं, जिनका संचालन एग्री प्रोड्यूस एंड लाइवस्टॉक मार्केटिंग कमेटी (APMC) के तहत होता है। किसी भी व्यापारी को कोई भी कृषि उपज खरीदने के लिए इसी मंडी में आना होता है क्योंकि मंडी के बाहर कृषि उपज का कोई लेन-देन नहीं हो सकता। यदि कोई व्यापारी मंडी से बाहर किसानों से खरीद कर भी रहा होता है, तो मंडी टैक्स जमा करने के बाद ही वह ऐसा कर सकता है।


इसके लिए जो मौजूदा व्यवस्था है, उसके मुताबिक हर व्यापारी या किसी भी ऐसी संस्था को, जिसे किसानों से उपज की खरीद करनी हो, मंडी लाइसेंस लेना होता है। यह लाइसेंस हर मंडी के स्तर पर मिलता है। इसका मतलब यह हुआ कि यदि किसी व्यापारी को जिले में मौजूद 3 मंडियों से खरीद करनी हो, तो उसे तीनों मंडियों का लाइसेंस लेना होगा। जाहिर है कि मंडी लाइसेंस की एक मोटी फीस होती है और इसलिए किसी एक मंडी में काम करने वाले व्यापारियों की संख्या बेहद सीमित होती है, विशेष तौर पर यदि वह मंडी छोटी हो।

eNAM के दो हिस्से हैं- पहला, इलेक्ट्रॉनिक और दूसरा, राष्ट्रीय कृषि बाजार। नाम से ही जाहिर है कि यह प्लेटफॉर्म पूरे देश को एक कृषि बाजार के तौर पर विकसित करने के लक्ष्य के साथ तैयार किया गया है। लेकिन कृषि विपणन और APLM एक्ट (जिसके तहत APMC का गठन होता है) क्योंकि राज्यों की अधिकार सूची में आते हैं, इसलिए eNAM के तहत राज्यों को एक प्राथमिक बाजार इकाई बनाना आवश्यक है। इसलिए किसी भी राज्य के लिए eNAM में शामिल होने की पहली शर्त यही है कि उसे अपने APMC अधिनियम में संशोधन कर पूरे राज्य को एक मार्केटिंग यार्ड बनाना होता है, जिसका मतलब यह है कि व्यापारी या कंपनियां सिर्फ एक मंडी लाइसेंस लेकर पूरे राज्य में किसानों से कृषि उपज खरीद सकते हैं।

इससे पूरा राज्य तो एक मंडी बन जाता है, लेकिन इसे राष्ट्रीय नेटवर्क में जोड़ने का काम ‘इलेक्ट्रॉनिक’ करता है। यानी एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म जिस पर सभी राज्यों की सभी मंडियां जुड़ी हों। इस इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के अनेक फायदे हैं। जैसे, यदि तमिलनाडु की इरोड मंडी में कोई किसान अपनी हल्दी लेकर आता है, तो मंडी के गेट पर ही उसकी इलेक्ट्रॉनिक एंट्री कर ली जाती है। जैसे ही वह एंट्री होती है, दिल्ली में बैठे हल्दी कारोबारी को eNAM प्लेटफॉर्म पर यह दिख जाता है कि अमुक मात्रा की हल्दी इरोड की मंडी में आई है। अब यहां एक सबसे बड़ा पेच क्वालिटी का है।

कृषि उपज में भाव अमूमन 3 श्रेणियों से तय होते हैं, जिन्हें ग्रेड-ए, ग्रेड-बी, ग्रेड-सी कहा जाता है। लेकिन दिल्ली में बैठा कारोबारी जब तक यह आश्वस्त नहीं हो जाता कि इरोड की मंडी में आई अमुक मात्रा की यह हल्दी किस ग्रेड में है, वह उसके लिए बिड नहीं कर सकता। इसके लिए हर मंडी में सरकारी रेगुलेटेड असेईंग-ग्रेडिंग इकाइयां होनी आवश्यक है। सरकार ने इसके लिए हर मंडी को 75 लाख रुपये का आवंटन किया है। eNAM की सफलता इन इकाइयों के सही संचालन पर भी निर्भर करती है।

बहरहाल सच यह है कि इन तमाम सीमाओं और चुनौतियों के बावजूद 7 वर्षों में जम्मू-कश्मीर सहित 23 राज्य और 4 संघशासित प्रदेश eNAM में शामिल हो चुके हैं और इन प्रदेशों की 1361 मंडियां एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म से जुड़ चुकी हैं। सबसे ज्यादा 157 मंडियां तमिलनाडु में हैं जबकि राजस्थान (145), गुजरात (144), मध्य प्रदेश (136), उत्तर प्रदेश (125), महाराष्ट्र (118) और हरियाणा (108) भी eNAM पर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। eNAM पर कुल 209 कृषि कमोडिटी की ट्रेडिंग हो रही है, जिनमें फल-सब्जियां भी शामिल हैं। फिलहाल इस प्लेटफॉर्म पर लगभग 2.5 लाख कारोबारियों, 1.10 लाख आढ़तियों, 2575 FPO और 1.75 करोड़ किसानों ने अपना पंजीकरण करा लिया है।

शुरुआत में eNAM के तहत एक ही मंडी के भीतर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग शुरू की गई थी, लेकिन 10 जनवरी 2019 को पहली बार इस प्लेटफॉर्म से अंतरराज्यीय कारोबार हुआ जब उत्तराखंड के हल्द्वानी के एक किसान ने उत्तर प्रदेश के बरेली में एक कारोबारी के हाथ अपने टमाटर बेचे। इसके बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच आलू, बैंगन, भिंडी जैसी कई सब्जियों का कारोबार eNAM प्लेटफॉर्म से हुआ है। इसी साल 1 फरवरी को eNAM के माध्यम से पहली बार सेब का कारोबार हुआ, जिसे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक ट्वीट कर बताया। जम्मू-कश्मीर के सोपोर मंडी से धनबाद के झारखंड में पहली बार सेब की बिक्री ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से की गई।

देश के क्षेत्रफल, किसानों की समस्य़ाओं और भारत में कृषि उपज की मात्रा को देखते हुए 7 साल में eNAM की सफलता बहुत मामूली मालूम देती है। लेकिन समस्याओं के स्केल और उसकी चुनौतियों को देखते हुए इस प्लेटफॉर्म की आंशिक सफलता भी सराहनीय है। आम किसान के जीवन में eNAM का असर देखने के लिए भले ही अभी लंबा इंतजार बाकी हो, लेकिन इसकी शुरुआत हो चुकी है।

Bhuwan Bhaskar

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First Published: Apr 14, 2023 1:51 PM

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