Gold Price: गुरुवार 13 नवंबर को सोने की कीमतों में तेज़ी जारी रही। अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की नई उम्मीदों और लगातार जियोपलिटिकल चिंताओं के बीच घरेलू और अंतराष्ट्रीय बाजारों में निवेशकों की मज़बूत दिलचस्पी देखी गई। भारत में 10 ग्राम सोने की कीमत ₹1.27 लाख रही, जो पिछले दिन से ₹2,290 की बढ़त दिखाती है।
वैश्विक बाजारों में हाजिर सोना 0521 GMT पर 0.4% बढ़कर 4,214.52 डॉलर प्रति औंस हो गया, जबकि दिसंबर डिलीवरी के लिए अमेरिकी सोना वायदा 0.1% बढ़कर 4,218.20 डॉलर प्रति औंस हो गया - जो 21 अक्टूबर के बाद का उच्चतम स्तर है।
बाजार जानकारों ने सोने की इस तेज़ी का श्रेय अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति में नरमी की उम्मीदों और कमज़ोर डॉलर को दिया।
रिलायंस सिक्योरिटीज़ के वरिष्ठ शोध विश्लेषक जिगर त्रिवेदी ने कहा, "कमज़ोर डॉलर, फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों और केंद्रीय बैंक द्वारा लगातार जमा किए जाने के कारण सोना अपनी बढ़त का सिलसिला जारी रखे हुए है।"उन्होंने आगे कहा कि हालिया तेजी के बाद इसमें शॉर्ट टर्म कंसोलिडेशन की संभावना है, लेकिन "इसका आउटलुक अभी भी पॉजिटिव बना हुआ है और अगर सोने में यह बढ़त बरकरार रही तो साल के अंत तक कीमतों के 4,300 डॉलर प्रति औंस से ऊपर जा सकता है।
यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अक्टूबर से शुरू हुए अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे शटडाउन को समाप्त करने के लिए कानून पर हस्ताक्षर करने के बाद उठाया गया है। शटडाउन हटने से पेरोल और मुद्रास्फीति के आंकड़ों सहित प्रमुख आर्थिक आंकड़ों का फिर से जारी होना शुरू होने की उम्मीद है।
रॉयटर्स के पोल से पता चला है कि 80% अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि श्रम बाजार में नरमी को सहारा देने के लिए फेड अगले महीने अपनी प्रमुख ब्याज दर में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है।
आगे कितनी तेजी की उम्मीद लगा रहे बाजार जानकार
मेहता इक्विटीज़ के उपाध्यक्ष (कमोडिटी) राहुल कलंत्री के अनुसार, सर्राफा की कीमतें तकनीकी रूप से मजबूत हुई हैं। उन्होंने कहा, "सोने को 4,140-4,100 डॉलर प्रति औंस पर सपोर्ट और 4,240-4,265 डॉलर प्रति औंस पर रजिस्टेंस बना है।
ब्रोकरेज फर्म एमके वेल्थ मैनेजमेंट ने सोने के ऊपरी लक्ष्य क्रमशः 4,368 डॉलर और 4,600 डॉलर प्रति औंस और सपोर्ट लेवल क्रमशः 3,890 डॉलर और 3,510 डॉलर प्रति औंस रहने का अनुमान लगाया है। ब्रोकरेज फर्म ने बताया कि पिछले एक साल में अमेरिकी डॉलर के 8% कमजोर होने से कमोडिटी की कीमतें बढ़ी हैं, जबकि इस साल 65 अरब डॉलर के ईटीएफ प्रवाह और केंद्रीय बैंकों की निरंतर खरीदारी ने मांग को बल दिया है।
एमके वेल्थ ने कहा, "डॉलर की कमजोरी, भू-राजनीतिक तनाव और संस्थागत खरीदारी का संयोजन सोने को एक विविधीकरण उपकरण के रूप में आकर्षक बनाए हुए है।" उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा निवेशक अपनी पोजीशन बनाए रखने और गिरावट पर निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
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