सूत्रों के मुताबिक भारत, US के बीच ट्रेड डील जल्द हो सकती है। चुनिंदा चीजों पर टैरिफ घट सकता है। टैरिफ 50% घटकर 15% हो सकता है। एनर्जी, एग्री सेक्टर टेबल पर सबसे अहम है। एग्री सेक्टर में भारत थोड़ा राहत दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक भारत, ट्रेड डील के तहत अमेरिका से नॉन जेनिटिकली मोडीफाइड मक्का (Non-GMO Corn) के आयात को मंजूरी दे सकता है। हालांकि बाजार जानकारों का मानना है कि अमेरिका में उगाए जाने वाले 90% से अधिक मक्का जीएम (GM) यानी आनुवंशिक रूप से परिवर्तित है। ऐसे में भारत में जीएम मक्का के प्रवेश की संभावना बढ़ जाती है।
वर्तमान में अमेरिका से मक्का आयात का कोटा सालाना 0.5 मिलियन टन है। नई व्यवस्था में 15% आयात शुल्क (ड्यूटी) बरकरार रहेगा, लेकिन कोटा बढ़ाने से देश के बाजार में अमेरिकी मक्का की मौजूदगी बढ़ सकती है।
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक पोल्ट्री फीड, डेयरी इनपुट और इथेनॉल इंडस्ट्रीज की बढ़ती घरेलू डिमांड को देखते हुए मक्का और सोयामील के अमेरिकी आयात को मंजूरी मिल सकती है। भारतीय किसानों के हित भी प्रभावित नहीं होंगे। अभी US से सालाना करीब 5 लाख टन मक्के का इंपोर्ट करता है।
बतातें चलें कि भारत और अमेरिका के बीच होने वाली इस डील में सबसे बड़ा अड़ंगा जीएम (Genetically Modified) मक्का को लेकर रहा है। अमेरिका शुरुआत से चाहता रहा है कि भारत उसकी जीएम मक्का किस्मों को खरीदे, लेकिन भारत जीएम फसलों के जोखिम और किसानों पर प्रभाव को देखते हुए इससे इनकार करता आया है।
अगर इंपोर्ट हुआ तो भारतीय इंडस्ट्रीय और किसानों को भारी नुकसान होगा
SOPA डी.एन. पाठक ने कहा कि यूएस से GM सोयाबीन भारत में इंपोर्ट हो सकता है। अगर इंपोर्ट हुआ तो भारतीय इंडस्ट्रीय और किसानों को भारी नुकसान होगा। GM सोयाबीन का इंपोर्ट हुआ तो दाम और गिरेंगे। भारतीय किसानों की तुलना अमेरिकी किसानों से करना ठीक नहीं है और ना ही अमेरिका की GM सोयाबीन से भारतीय नॉन GM से तुलना करना ठीक नहीं है। सोयाबीन का इंपोर्ट काफी क दाम पर होगा।
डी.एन. पाठक ने आगे कहा कि US से नॉन GM मक्का, सोयाबीन इंपोर्ट से ज्यादा खतरा नहीं है। पोल्ट्री इंडस्ट्री हमेशा ही सस्ती फीड चाहती है। उनका कहना है कि एक इंडस्ट्रीज को फायदा देने के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाना गलत है। उन्होंने कहा कि हमारा कंसर्न केवल किसान और इंडस्ट्रीज को लेकर है ना कि किसी ट्रेड को लेकर। अगर कोई ट्रेड होता है तो कोई बुराई नहीं है, लेकिन जिस चीज की भारत में कमी नहीं है और जिससे हमारा किसानों पर सीधा असर पड़ता है उसे इंपोर्ट करना ठीक नहीं है। अमेरिका में GM सोयाबीन की ही खेती होती है।