भारत सरकार जल्द ही देश से 12 लाख टन गेहूं के एक्सपोर्ट को मंजूरी दे सकती है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार यह कदम पिछले महीने गेहूं के एक्सपोर्ट पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद अलग-अलग पोर्ट्स पर फंसे गेहूं को निकालने के लिए उठा रही है। रायटर्स को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इस मंजूरी के बाद भी 5 लाख टन गेहूं अलग-अलग पोर्ट पर अटका रहेगा क्योंकि कुछ एक्सपोर्टरों को एक्सपोर्ट परमिट हासिल करने में असफल रहे हैं।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने 14 मई को अचानक उठाए गए कदम के तहत देश से गेहूं के एक्सपोर्ट को बैन कर दिया था। हालांकि बैन के बारे में निर्देश जारी करते हुए सरकार ने कहा था कि जिस एक्सपोर्ट को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है उसके ऊपर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया था।
अब 14 मई के पहले जारी लेटर ऑफ क्रेडिट के आधार पर सरकार गेहूं के एक्सपोर्ट के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करेगी। यह जानकारी 2 सरकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। बता दें कि एक्सपोर्ट बैन लगाने के बाद भारत ने 469202 टन गेहूं की शिपमेंट की मंजूरी दी है। इसके बावजूद कम से कम 17 लाख टन गेहूं अलग-अलग पोर्ट्स पर फंसा हुआ है।
मॉनसून नजदीक होने के कारण इसकी क्वालिटी को लेकर चिंता हो रही है । एक सरकारी सूत्र ने बताया है कि जिन ट्रेडरों के पास वैध लेटर ऑफ क्रेडिट होगा उनको एक्सपोर्ट करने की अनुमति होगी लेकिन जिनके पास पूरे कागजात नहीं होगे वह एक्सपोर्ट नहीं कर पाएंगे।
अलग-अलग पोर्ट पर फंसे गेहूं के शिपमेंट को मंजूरी मिलने से बंग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल जैसे देशों में गेहूं की कमी की समस्या से निजात पाने में सहायता मिलेगी। बता दें कि ये देश अपने गेहूं की जरुरत के लिए अधिकांशत: भारत पर निर्भर करते हैं। इसमें से अधिकतर गेहूं बांग्लादेश जाएगा। इसके बाद नेपाल, इंडोनेशिया, फिलिपीन्स और श्रीलंका जैसे देशों को सरकार के इस फैसले से गेहूं की आपूर्ति होगी। सूत्रों के मुताबिक जिन लोगों को गेहूं एक्सपोर्ट करने की मंजूरी नहीं मिली है वे सरकार से गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील के तहत गेहूं निर्यात करने की अनुमति मांग रहे हैं।