इंडियन इकोनॉमी (Indina Economy) 2040 तक 20 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी। चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर V Anantha Naveswaran ने यह अनुमान जताया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि पांच साल में 5 लाख करोड़ डॉलर की होने के बाद अगर हर 7 साल में जीडीपी दोगुनी होती है तो यह दो दशक में 20 लाख करोड़ डॉल की हो जाएगी। अभी करेंट प्राइसेज पर इंडियन इकोनॉमी 3 लाख करोड़ डॉलर से थोड़ी ज्यादा है।
एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "IMF ने कहा है कि इंडिया की इकोनॉमी 2026-27 तक 5 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की हो जाएगी। अगर डॉलर में जीडीपी हर 7 साल में दोगुनी होती है तो यह 2040 तक 20 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी। तब प्रति व्यक्ति आय 15,000 डॉलर हो जाएगी।"
कोरोना की महामारी के चलते इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ पर खराब असर पड़ा है। उसके बाद यूक्रेन क्राइसिस ने बड़ा प्रॉब्लम पैदा किया है। इसके चलते कमोडिटी की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। इसका असर इकोनॉमी की ग्रोथ पर भी पड़ा है।
हालांकि, इकोनॉमी धीरे-धीरे क्राइसिस से बाहर आ रही है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा है कि कंपनियों की बैलेंसशीट में सुधार आ रहा है। हालांकि, इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की सरकार की कोशिशों पर कोरोना की महामारी का असर पड़ा है।
RBI ने बुधवार (8 जून) को फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। दरअसल, RBI ने ग्रोथ के अपने पहले के अनुमान को बरकरार रखा है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि अप्रैल और मई के डेटा से पता चलता है कि इंडिया की इकोनॉमिक ग्रोथ मजबूत बनी हुई है।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 16.2 फीसदी रहेगी। दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के दौरान जीडीपी की ग्रोथ 6.2 फीसदी रह सकती है। तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर के दौरान जीडीपी के 4.1 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। अंतिम तिमाही यानी जनवरी से मार्च के दौरान इकोनॉमी की ग्रोथ 4 फीसदी रह सकती है।
उधर, World Bank ने इस फाइनेंशियल ईयर में इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया है। पहले उसने इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 8.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इसका मतलब है कि यह वर्ल्ड बैंक ने ग्रोथ का अनुमान 1.2 फीसदी घटा दिया है।