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अगर भारत रूस से तेल नहीं खरीदता तो इसकी कीमतें आसमान छू रहीं होती: हरदीप सिंह पुरी

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत अपने नागरिकों के हितों को प्राथमिकता देते हुए, जहां भी उसकी कंपनियों को सर्वोत्तम दरें मिलेगी, वहां से तेल खरीदना जारी रखेगा। इससे पहले एक अन्य पोस्ट में केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि भारत ने रूसी तेल खरीदकर पूरी दुनिया पर एहसान किया है। उन्होंने कहा कि अगर हमने ऐसा नहीं किया होता, तो वैश्विक तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं होती

अपडेटेड Nov 09, 2024 पर 2:43 PM
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हरदीप सिंह पुरी ने दावा किया कि भारत तेल का एकमात्र प्रमुख उपभोक्ता देश है जहां वैश्विक मूल्य वृद्धि के बावजूद पिछले तीन वर्षों में ईंधन की कीमतों में काफी कमी आई है

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Union Petroleum and Natural Gas Minister Hardeep Singh Puri) ने कहा है कि अगर भारत ने रूस से तेल नहीं खरीदा होता तो वैश्विक तेल कीमतें आसमान छू रहीं होती। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कई लोगों को वैश्विक तेल की कीमतों को स्थिर करने पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव का अंदाजा नहीं है। एक्स ( X) पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “वे रूस से भारत की तेल खरीद रहे थे, लेकिन दुनिया भर में कई लोगों को यह अंदाजा नहीं है कि अगर भारत ने रूस (Russia) से तेल नहीं खरीदा होता तो वैश्विक तेल की कीमतें आसमान छू रही होतीं।" उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रूस से तेल लेने का निर्णय ऊर्जा लागत, उपलब्धता और स्थिरता के बीच संतुलन हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण रहा। उस समय एक कठिन परिस्थिति से कई देशों को जूझना पड़ा था।

पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में कठिन परिस्थियों में ऊर्जा जरूरतें पूरी की

“कोई भी इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ सकते कि जब दुनिया भर के देश ऊर्जा, सप्लाई और कीमतों से जूझ रहे थे। तब भी भारत ने पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ऊर्जा की उपलब्धता, उसको हासिल करने की वाजिब क्षमता और स्थिरता की त्रिमूर्ति को सफलतापूर्वक पार कर लिया।” पुरी एक्स पर लिखा।


मंत्री ने कहा कि भारत अपने नागरिकों के हितों को प्राथमिकता देते हुए, जहां भी उसकी कंपनियों को सर्वोत्तम दरें मिलेगी, वहां से तेल खरीदना जारी रखेगा। उन्होंने कहा, "हम अपने नागरिकों के प्रति ऋणी हैं। भारत वहां से तेल खरीदेगा जहां हमारी कंपनियों को सबसे अच्छी दरें मिलेंगी।"

तो वैश्विक तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं

इससे पहले एक अन्य पोस्ट में केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि भारत ने रूसी तेल खरीदकर पूरी दुनिया पर एहसान किया है। उन्होंने लिखा, 'अगर हमने ऐसा नहीं किया होता, तो वैश्विक तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई होतीं।'

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रूसी तेल प्रतिबंधों के अधीन नहीं है। उनके तेल पर केवल एक मूल्य सीमा (प्राइस कैप) है। जिसका भारतीय संस्थाओं द्वारा पालन करने का आश्वासन दिया गया। पुरी ने बताया कि कई अन्य यूरोपीय और एशियाई देशों ने रूस से महत्वपूर्ण रूप से ऊर्जा सामग्री की खरीदारी की है।

भारत में तीन वर्षों में ईंधन की कीमतों में काफी कमी आई

उन्होंने लिखा, "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जहां कुछ गलत जानकारी वाले टिप्पणीकारों ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की बात की थी। वहीं कई अन्य यूरोपीय और एशियाई देशों ने रूस से अरबों डॉलर मूल्य का अधिक कच्चा तेल, डीजल, एलएनजी, दुर्लभ अर्थ मिनरल्स खरीदे थे।"

मंत्री ने दावा किया कि भारत एकमात्र प्रमुख उपभोक्ता देश है जहां वैश्विक मूल्य वृद्धि के बावजूद पिछले तीन वर्षों में ईंधन की कीमतों में काफी कमी आई है।

 

 

 

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