ओपेक+ देश अगले महीने यानि अगस्त से तेल उत्पादन में उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से बढ़ोतरी करेंगे। समूह गर्मियों की मजबूत मांग का फायदा उठाना चाहता है। OPEC यानि कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज। इस संगठन की शुरुआत 1960 में हुई थी और इसमें सऊदी अरब, कुवैत, ईरान, ईराक, वेनेजुएला, कतर, इंडोनेशिया, लीबिया, यूएई, अल्जीरिया, नाइजीरिया, इक्वैडोर, गैबॉन, अंगोला, इक्वैटोरियल गुयाना और कॉन्गो शामिल हैं।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, 8 प्रमुख गठबंधन सदस्यों ने कच्चे तेल की सप्लाई प्रतिदिन 548,000 बैरल बढ़ाने पर सहमति जताई है। इससे पहले ओपेक ने मई, जून और जुलाई, तीनों में से हर एक महीने के लिए क्रूड की सप्लाई में 411,000 बैरल की बढ़ोतरी की घोषणा की थी।
फैसला स्थिर ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक और मौजूदा हेल्दी मार्केट फंडामेंटल्स पर बेस्ड
ओपेक के वियना स्थित सचिवालय ने एक बयान में कहा कि शनिवार का फैसला स्थिर ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक और मौजूदा हेल्दी मार्केट फंडामेंटल्स पर बेस्ड है। कहा जा रहा है कि ओपेक 3 अगस्त की अगली बैठक में सितंबर में क्रूड सप्लाई में प्रतिदिन लगभग 548,000 बैरल के एडिशन पर विचार करेगा। इससे सप्लाई 22 लाख बैरल प्रतिदिन के उस लेवल पर पहुंच जाएगी, जिसे 2023 में बंद कर दिया गया था। उसके बाद, समूह के पास संभावित रूप से विचार करने के लिए निष्क्रिय उत्पादन का एक और 16.6 लाख बैरल का स्तर है।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, कुछ लोगों का कहना है कि ओपेक गर्मियों के दौरान मजबूत मांग का फायदा उठाने के लिए सप्लाई में वृद्धि को तेज कर रहा है। पिछले महीने ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष के दौरान कीमतों में उछाल आया, लेकिन जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि तेल की सप्लाई प्रभावित नहीं हुई, कीमतों में तेजी से गिरावट आई।