कारोबारी और सरकारी सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक भारत की चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। गौरतलब है कि भारत दुनिया में चावल के सबसे बड़े एक्सपोर्टरों में से एक है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि देश में चावल का पर्याप्त भंडार है। स्थानीय बाजार में मिल रहा चावल का भाव सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से कम है। ऐसे में देश में चावल के कीमतों में अप्रत्याशित तेजी की उम्मीद नहीं है।
बतातें चलें कि भारत सरकार ने 14 मई को देश से होने वाले गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था। घरेलू बाजार में खाद्यानों की बढ़ती कीमत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया था। गेहूं पर प्रतिबंध लगाने से सिर्फ एक दिन पहले सरकार ने कहा था कि इस साल 1 करोड़ टन गेहूं का शिपमेंट होगा। बता दें कि देश में इस बार समय से पहले गर्मी शुरु होने के चलते गेहूं का उत्पादन कम हुआ है।
अभी कल ही ये खबर आई थी कि गेहूं और चीनी के निर्यात पर बैन लगाने के बाद सरकार अब चावल के एक्सपोर्ट पर भी बैन लगाने का फैसला कर सकती है। घरेलू बाजार में चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और चावल की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार को ऐसा कदम उठाना पड़ सकता है।
चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादन करने वाला देश है और वित्त वर्ष 2022 के दौरान इसने 150 से अधिक देशों को चावल एक्सपोर्ट किया था। चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने की यह खबर ऐसे समय में आई थी, जब देश में खुदरा महंगाई अपने 8 सालों के उंचे स्तर पर है। अप्रैल में खुदरा महंगाई 7.79 फीसदी दर्ज की गई थी, जो 8 सालों का इसका सबसे ऊंचा स्तर है। इसके चलते सरकार को महंगाई को कम करने के उपायों को उठाना पड़ रहा है।