Rupee Vs Dollar:शुक्रवार (5 दिसंबर) को शुरुआती कारोबार में रुपया US डॉलर के मुकाबले 20 पैसे बढ़कर 89.69 पर पहुंच गया। विदेशी इन्वेस्टर्स के बिकवाली के दबाव, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और भारत-US ट्रेड डील की घोषणा में देरी से भी रुपये पर दबाव पड़ा है।
इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में, रुपया US डॉलर के मुकाबले 89.85 पर खुला और सुबह के सौदों में 89.69 तक पहुंच गया, जो पिछले बंद भाव से 20 पैसे की बढ़त दिखाता है। गुरुवार (4 दिसंबर) को रुपया अपने सबसे निचले लेवल से वापस उछला, और डॉलर के मुकाबले 26 पैसे बढ़कर 89.89 पर बंद हुआ।
आरबीआई ने आज RBI ने ब्याज दरों में 0.25% कटौती की है। रेपो रेट 0.25% घटाकर 5.25% कर दिया गया है। MPC सदस्यों की सर्वसम्मति से कटौती का ये फैसला लिया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने 5 दिसंबर को मार्च 2026 में खत्म होने वाले फाइनेंशियल ईयर के लिए महंगाई का अनुमान 2.6% से घटाकर 2.0% कर दिया। साथ ही, यह भी माना कि साल की शुरुआत में कीमतों का दबाव उम्मीद से कहीं ज़्यादा कम हो गया है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने पॉलिसी एड्रेस के दौरान कहा, "FY27 की पहली छमाही में हेडलाइन और कोर इन्फ्लेशन 4% या उससे कम रहने की उम्मीद है।"मल्होत्रा ने आगे कहा कि पहली छमाही में 2.2% पर मामूली इन्फ्लेशन और 8% पर GDP ग्रोथ एक दुर्लभ गोल्डीलॉक्स पीरियड है। RBI का यह कदम मोटे तौर पर उम्मीदों के मुताबिक रहा।
28 नवंबर तक विदेशी मुद्रा भंडार $68,600 करोड़ रहा। विदेशी मुद्रा भंडार से 11 माह का इंपोर्ट कवर है। उन्होंने कहा कि पहली छमाही में ग्रॉस FDI मजबूत रहा।
ग्लोबल ऑयल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड, फ्यूचर्स ट्रेड में 0.21% गिरकर $63.12 प्रति बैरल पर आ गया।घरेलू इक्विटी मार्केट में, शुरुआती ट्रेड में सेंसेक्स 53.54 पॉइंट बढ़कर 85,318.86 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 28.2 पॉइंट बढ़कर 26,061.95 पर पहुंच गया।एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, गुरुवार को फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने नेट बेसिस पर ₹1,944.19 करोड़ की इक्विटी बेचीं।
आरबीआई प़ॉलिसी पर जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के वी के विजयकुमार का कहना है कि MPC ने इकॉनमी में चल रही मज़बूत ग्रोथ के बावजूद ग्रोथ के पक्ष में वोट करने का फैसला किया। रेट्स में 25 bp की कटौती का फैसला MPC में इस बात पर आम सहमति दिखाता है कि रुपये की कीमत में गिरावट के बावजूद ग्रोथ को और बढ़ावा देना एक रिस्क लेने लायक है।
FY26 के लिए 7.3% GDP ग्रोथ का अनुमान मार्केट के लिए पॉजिटिव है। बैंकों को कुल मिलाकर पॉलिसी का फैसला पसंद आएगा, लेकिन रेट कट पर उनके बहुत पॉजिटिव रिस्पॉन्स देने की उम्मीद कम है, क्योंकि उनके NIM पर दबाव पड़ेगा और अगर डिपॉजिट रेट्स कम किए जाते हैं तो उन्हें डिपॉजिट जुटाने में मुश्किल होगी। हालांकि, ऑटो और रियल एस्टेट जैसी रेट सेंसिटिव कंपनियों को रेट कट से फायदा हो सकता है।