Silver Prices: चांदी के दाम में अगले एक साल के दौरान लगभग 20 प्रतिशत तक की और उछाल आ सकती है। यह अनुमान ब्रोकरेज फर्म एमके वेल्थ मैनेजमेंट (Emkay Wealth Management) ने लगाया है। ब्रोकरेज का कहना है कि अगले एक साल में चांदी का भाव बढ़कर 60 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। इसके पीछे चांदी की बढ़ती औद्योगिक मांग और सप्लाई में लगभग 20% की लगातार बनी कमी मुख्य वजह हो सकती है।
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के हेड ऑफ प्रोडक्ट्स, आशीष रनवाडे ने कहा, “संस्थागत निवेशकों और केंद्रीय बैंकों की ओर से अमेरिकी डॉलर की तुलना में सोने और चांदी को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे इन धातुओं कीमतों में तेजी को सपोर्ट मिल रहा है। तकनीकी तौर पर चांदी ब्रेकआउट स्तर के करीब है।” उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में गोल्ड ने करीब 61.82% का रिटर्न दिया हैं, जो शेयर और बॉन्ड से दोनों से बेहतर प्रदर्शन है।
शेयर बाजार की बात करें तो अधिकतर एक्सपर्ट्स अभी भी भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे वैल्यूएशन को लेकर सतर्क बने हुए हैं। हालांकि घरेलू निवेशक भी फिर भी लगातार बाजार में निवेश कर रहे हैं।
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च हेड, जोसेफ थॉमस के मुताबिक, "भारत ग्लोबल आर्थिक परिदृश्य में अलग नजर आता है। यहां स्टॉक-स्पेसिफिक मौके काफी पर्याप्त संख्या में हैं। PMS, AIF और एक्टिव फंड मैनेजर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।” भारत की मजबूत जीडीपी ग्रोथ, GST के सरलीकरण, ब्याज दरों में कटौती और अनुकूल मानसून से बाजार की तेजी को सपोर्ट मिल सकती है।
ग्लोबल दबावों की बात करें तो, ट्रेड को लेकर जारी तनाव, टैरिफ और भू-राजनीतिक संघर्ष, ग्लोबल सप्लाई चेन पर दबाव डाल रहे हैं। अमेरिकी ऑटो इंडस्ट्री पर मैक्सिको और कनाडा के टैरिफ का असर पड़ा है, जबकि भारत को अमेरिका में एक्सपोर्ट पर 50% तक टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों के बावजूद IMF का अनुमान है कि 2025 में ग्लोबल ग्रोथ रेट पर इसका असर सीमित रहेगा।
कुल मिलाकर बढ़ती इंडस्ट्रियल मांग और सप्लाई में कमी के कारण चांदी निवेश के लिए आकर्षक विकल्प बन सकती है। वहीं, सोना निवेश के सुरक्षित विकल्प के रूप में बना हुआ है और करेंसी व महंगाई दर के जोखिमों से बचाव में मदद करता है।
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