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Sugar Price: देश में चीनी की खपत 2-3% बढ़ी, क्या कीमतों में पर पड़ेगा असर

Sugar Price: ISMA ने चीनी उत्पादन को लेकर अनुमान जारी कर दिया है। जिसके मुताबिक इस साल उत्पादन 18% बढ़ने की उम्मीद है। 2025-26 में 18% ज्यादा उत्पादन संभव है। इस साल 349 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है

अपडेटेड Aug 01, 2025 पर 4:51 PM
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अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि इस साल बारिश पिछले साल बेहतर हैं। कर्नाटक, महाराष्ट्र में स्थिति पिछले साल से अच्छी है।

Sugar Price: ISMA ने चीनी उत्पादन को लेकर अनुमान जारी कर दिया है। जिसके मुताबिक इस साल उत्पादन 18% बढ़ने की उम्मीद है। 2025-26 में 18% ज्यादा उत्पादन संभव है। इस साल 349 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है। 284 लाख टन घरेलू खपत रहने की उम्मीद है। ISMA की सरकार से अपील करते हुए कहा कि 20 लाख टन एक्सपोर्ट को मंजूरी मिले।एथेनॉल के लिए डायवर्जन 50 लाख टन हो

ISMA अध्यक्ष गौतम गोयल ने कहा कि मिनिमम 350 लाख टन चीनी का ग्रॉस उत्पादन हो सकता है। इसका मुख्य कारण है कि महाराष्ट्र में करीब 1 लाख हेक्टेयर के एरिया की बढ़ोतरी हुई। वहीं महाराष्ट्र में अच्छे मॉनसून के चलते महाराष्ट्र का कंज्मशन प्रोडक्शन करीब 40% का उछाल आ सकता है। एक्सपोर्ट को लेकर उनका कहना है कि इस साल चीनी का प्रोडक्शन 350 लाख से ऊपर होने की उम्मीद है । हमको एथेनॉल का डायवर्जन सबसे इंपॉर्टेंट है। उसमें कम से कम 45 से 50 लाख टन चीनी एथेनॉल के डायवर्जन में जानी जरूरी है। इसके लिए हमको एथेनॉल का प्राइस रिवीजन और ऑफटेक का अश्योरेंस की रिक्वायरमेंट है। उन्होंने कहा कि कम से कम 20 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट की रिक्वायरमेंट है।

देश में चीनी की खपत 2-3% बढ़ी


श्री रेणुका शुगर्स के EC अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि इस साल बारिश पिछले साल बेहतर हैं। कर्नाटक, महाराष्ट्र में स्थिति पिछले साल से अच्छी है। 340-350 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद है। इस साल चीनी का उत्पादन बढ़ने की उम्मीदहै। पिछले साल से आवंटन 1.4-1.5 मिलियन टन कम है। देश में चीनी की खपत 2-3 फीसदी बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका को एग्री एक्सपोर्ट के लिए एक बड़ा बाजार चाहिए। सरकार की पहल से बाजारों में मांग सुधरी है। अमेरिका भारत को कॉर्न और डेयरी एक्सपोर्ट करना चाहता है। अमेरिका को एक्सपोर्ट को लेकर ज्यादा परेशानी नहीं है। अमेरिका सोयाबीन भी एक्सपोर्ट करना चाहता है।

उन्होंने आगे कहा कि देश में चीनी की मांग आबादी की ग्रोथ के साथ जुड़ी है। 1% से आबादी बढ़ी, 1% ही चीनी की मांग भी बढ़ी। टैरिफ में 4-5% के अंतर से एक्सपोर्ट पर ज्यादा फर्क नहीं। ट्रंप टैरिफ के कारण डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होगा, इंपोर्ट कॉस्ट बढ़ेगी।

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