Sugar production: 17% घटा चीनी का उत्पादन, जानिए क्या है वजह, आगे कैसी रहेगा इसका आउटलुक

ISMA के वीपी गौतम गोयल ने कहा कि इस साल चीनी का उत्पादन कम हुआ है। उत्पादन में देरी होने के कारण उत्पादन में असर देखने को मिल रहा है। 15 दिसंबर तक 61.50 लाख टन उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल 74 लाख टन था।

अपडेटेड Dec 18, 2024 पर 3:24 PM
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15 दिसंबर तक चीनी उत्पादन (प्रोडक्शन) में 17% गिरावट आई है। ये कहना है कि ISMA का। वहीं NFCSF भी चीनी उत्पादन घटने की बात कह रहा है।

Sugar production:15 दिसंबर तक चीनी उत्पादन (प्रोडक्शन) में 17% गिरावट आई है। ये कहना है कि ISMA का। वहीं NFCSF भी चीनी उत्पादन घटने की बात कह रहा है। ISMA का कहना है कि 15 दिसंबर तक 61.39 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। 472 मिलों में 720 लाख टन गन्ने की पेराई हुई।

ISMA के मुताबिक कुछ राज्यों में गन्नों की पेराई देर से शुरू होने के कारण चीनी के उत्पादन में कमी आई है। महाराष्ट्र में अब तक चीनी का कम उत्पादन हुआ। वहीं कर्नाटक में 7-12 दिन की देर से पेराई शुरू हुई जबकि महाराष्ट्र में 15-20 दिन की देर पेराई से शुरू हुई।

ISMA के मुताबिक दिसंबर 2023 में 74.05 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। जबकि दिसंबर 2024 में 61.39 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। वहीं NFCSF के मुताबिक दिसंबर 2023 में 74.20 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। जबकि दिसंबर 2024 में 60.85 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।


ISMA के वीपी गौतम गोयल ने कहा कि इस साल चीनी का उत्पादन कम हुआ है। उत्पादन में देरी होने के कारण उत्पादन में असर देखने को मिल रहा है। 15 दिसंबर तक 61.50 लाख टन उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल 74 लाख टन था। महाराष्ट्र और कर्नाटक में 25 दिन देरी से बुआई शुरु हुई। एथेनॉल डायवर्जन में 40 लाख टन जाएगी, जो पिछले साल 17 लाख टन लगी थी।

प्राइवेट चीनी कंपनियों को लग सकता है दोहरा झटका

इस बीच चीनी से जुड़ी एक अहम खबर आई है कि एथेनॉल खरीदने में OMCs अब कोऑपरिटिव चीनी मिलों को प्राथमिकता देंगी। एथेनॉल खरीदने के लिए जारी टेंडर डॉक्यूमेंट में ये शर्त लगाई गई है। पहले उन चीनी मिलों को प्राथमिकता मिलती थी जो लॉन्ग टर्म एग्रीमेंट करती थीं। लेकिन नई शर्तों के मुताबिक अब कोऑपरिटिव चीनी मिलों को प्राथमिकता मिलेगी। दूसरा झटका ये है कि चीनी मिलों की मांग के मुताबिक एथेनॉल की कीमतें कम बढ़ने की संभावना हैं। चीनी मिलों ने 2 से 2.5 रुपए प्रति लीटर एथनॉल की कीमतें बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन अब 1 से 1.5 रु प्रति लीटर ही एथनॉल की कीमतें बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

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