सरकार ने एक बार फिर गेहूं की स्टॉक लिमिट को घटा दिया है। सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक प्रोसेसर्स को छोड़कर बाकी सभी के लिए स्टॉक लिमिट घटा दी गई है। सरकार ने होल सेलर्स पर स्टॉक लिमिट में 75 फीसदी की कटौती की गई है, जबकि रिटेलर्स और बिग चेन रिटेलर्स पर स्टॉक लिमिट में 20 फीसदी की कटौती की गई है।
सरकार ने कहा है कि गेहूं बढ़ती कीमतों को देखते हुए स्टॉक लिमिट को घटाने का फैसला लिया गया है। सरकार ने गेहूं की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए स्टॉक लिमिट कड़ी की है जबकि अधिक तापमान ने आगामी रबी फसल के उत्पादन को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।बता दें कि अब ट्रेडर्स 1000 टन की बजाय 250 टन गेहूं रख सकेंगे। नई लिमिट 31 मार्च 2025 तक जारी रहेगी। रिटेलर्स 5 टन के बजाय सिर्फ 4 टन गेहूं रख सकेंगे।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा, “गेहूं का स्टॉक रखने वाली सभी संस्थाओं को व्हीट स्टॉक लिमिट पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है और हर शुक्रवार को अपने स्टॉक की जानकारी इस पोर्टल पर अपडेट करनी होगी।”
सरकार ने कहा कि मार्केट पार्टिसिपेंट्स के पास 15 दिनों का समय है। स्टॉक घटाने के लिए 15 दिनों का समय है। सभी के लिए नियमों का पालन जरूरी होगा। नियम टूटे तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। रजिस्ट्रेशन न कराने पर सख्त कार्रवाई होगी। एसेंशियल कमोडिटी एक्ट 1955 के तहत कार्रवाई होगी।
ट्रेडर्स और थोक विक्रेता अब 1000 टन की पूर्व सीमा के स्थान पर 250 टन गेहूं रख सकेंगे। रिटेलर्स और बिग चेन वाले रिटेलर्स अब प्रत्येक रिटेल दुकान पर 5 टन के स्थान पर केवल 4 टन ही स्टॉक रख सकेंगे। प्रोसेसर्स पर स्टॉक सीमा अपरिवर्तित रखी गई है। गेहूं के रिटेल दाम 1 साल में 6 फीसदी की तेजी आई है जबकि होलसेल के भाव में 8 फीसदी की तेजी आई है।
RFMFI के नवनीत चितलांगिया का कहना है कि सरकार के पास गेहूं का स्टॉक कम है। सरकार को OMSS पर फोकस करना चाहिए। OMSS में गेहूं की बिक्री बढ़ाने की जरूरत है। तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल पर ज्यादा असर नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि 109-110 मिलियन टन गेहूं के उत्पादन की उम्मीद है। हालांकि गेहूं के दाम कम नहीं होंगे, MSP पर ऊपर रहेंगे।