World Bamboo Day: आज World Bamboo Day है। क्या आपको बता हैं कि भारत में बांस का सालाना उत्पादन 32.3 लाख टन है जबकि ग्लोबल उत्पादन में भारत का हिस्सा 40% है। बांस के तीन बड़े उत्पादक देश चीन पहला, भारत दूसरा और म्यांमार तीसरे नंबर पर है।
पेड़ों की तुलना में बांस 35% अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है। 35% अधिक कार्बन डाईऑक्साइड भी सोखता है। दिन के समय भी कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है। पर्यावरण के लिए बांस 'हरा सोने' है। 1-5 साल में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। लकड़ी का सस्ता और अच्छा विकल्प है। 35% अधिक कार्बन डाईऑक्साइड सोखता है।
बांस हर रोज 1-3 मीटर तक बढ़ जाता है। इस्तेमाल के बाद कचरा नहीं बचता है। खाद, कीटनाशक की जरूरत नहीं होती। मिट्टी के संरक्षण में भी मददगार होता है।
भारत में बांस की खेती 13.96 मिलियन हेक्टेयर में होती है । सालाना 3.23 मिलियन टन का उत्पादन होता है। देश में बांस की 136 वैरायटी मौजूद है। बांस का एक्सपोर्ट 27% की दर से बढ़ रहा है। भारत में 2019 में बांस का बाजार 23942 करोड़ रुपये पर है जबकि 2033 में 52246 करोड़ रुपये की संभावना है।
बांस पर सरकार की क्या हैं सरकार की पहल
बांस पर सरकार की पहल पर नजर डालें तो 2017 में इंडियन फॉरेस्ट एक्ट में संशोधन हुआ। संशोधन में बांस को घास का दर्जा मिला। नॉन-फॉरेस्ट लैंड पर कटाई को मंजूरी मिली। 2018 में नेशनल बैंबू मिशन की शुरुआत हुई। मिशन का पूरा फोकस सेक्टर के विकास पर है। सरकार ने स्कीम ऑफ फंड फॉर रीजेनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज (SFURTI) की भी शुरुआत की। इंडस्ट्री को सरकार से वित्तीय मदद मिलती है। एक्सपोर्ट को बढ़ाने पर भी सरकार का जोर है।
क्यों बनाया जाता है बांस दिवस?
बांस दिवस हर साल 18 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत वर्ल्ड बैम्बू ऑर्गेनाइजेशन ने की थी। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगो में बांस को उगाने और इसके इस्तेमाल के प्रति जागरुकता फैलाना है। भारत में बांस की खेती सबसे ज्यादा की जाती है। भारत में बांस की 136 प्रताजियां उगाई जाती हैं, जिसमें सबसे ज्यादा बम्बुसा टुल्डा, बैम्बोस, बम्बुसा बलूका, पॉलीमॉर्फा, बम्बुसा नूतन, डेंड्रोकैलेमस एस्पर, डेंड्रोकैलेमस हैमिल्टन, थायरोस्टैचिस ओलिवेरी और मेलोकेन्ना बेसीफेरा शामिल हैं।
क्या कहते है जानकार
मचाऊ बैम्बू प्रोडक्ट्स दिव्या मुनोत का कहना है कि कंपनी की बांस को लाइफ स्टाइल प्रोडक्ट बनाने की कोशिश कर रहे है। बांस के प्रोडक्ट की मांग काफी तेजी बढ़ रही है। इको सिस्टम न होने और सप्लाई चेन अनऑर्गेनाइज्ड होने से बांस के बने प्रोडक्ट महंगे हैं।
बैम्बू इंडिया के फाउंडर और CEO योगेश शिंदे ने कहा कि कंपनियां बांस से बने प्रोडक्ट खरीद रही हैं। बांस को बढ़ावा देने के लिए अभी और काम किया जाना बाकी है। बांस आज प्लास्टिक की जगह लेता जा रहा है। बांस की इंडस्ट्री में निवेशकों की संख्या भी बढ़ रही है। बांस पर काम करने वाली कई कंपनियां भी आ रही है। बांस से बने कई प्रोडक्ट बाजार में आ रहे हैं।
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