घोटाले में फंसी PMC Bank के जमाकर्ताओं को पैसे मिलने का रास्ता साफ हो गया है। करीब 10 दिन पहले RBI ने फाइनेंशियल सर्विस कंपनी Centrum Financial Services और BharatPe के PMC Bank को टेकओवर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
Centrum Financial Services और BharatPe इस को-ओपरेटिव बैंक को चलाने के लिए एक स्मॉल फाइनेंस बैंक का गठन करेगी जो RBI के सुपविजन में एक amalgamation स्कीम यानी एकीकरण की योजना के तहत काम करेगी। इस योजना की घोषणा जल्द होने की उम्मीद है। RBI के इस फैसले से PMC Bank के जमाकर्ताओं को बड़ा राहत मिलेगी।
वर्ष 2019 में जब PMC Bank Scam उजागर हुआ तो सितंबर, 2019 में रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के निदेशक मंडल को भंग करते हुए उसे रेगुलेटरी सुपरविजन में डाल दिया और बैंक पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए, जिसे अब अधिग्रहण पूरा होने तक 31 दिसंबर 2021 तक कर दिया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस घोटाले को टाला जा सकता था?
Moneycontrol को जो सबूत मिले हैं, उससे यह पता चलता है कि RBI को पर्याप्त अलार्म और घोटाले के संकेत मिले थे, जिस पर अगर समय से अमल होता को यह घोटाला रोका जा सकता था, जिसके कारण PMC बैंक डूब गया। क्योंकि इस घोटाले के सार्वजनिक होने से 8 साल पहले ही एक ब्हीसलब्लोअर ने बैंक में हो रहा जालसाजी के बारे में RBI को चिट्ठी लिखकर आगाह किया था।
PMC बैंक के एक अधिकारी ने 28 जनवरी, 2011 को RBI के अर्बन बैंक के चीफ जनरल मैनेजर A Udgata को एक लेटर लिखकर PMC बैंक में हो रहा गड़बड़ियों के बारे में बताया था। इस लेटर में व्हीसलब्लोअर ने RBI को PMC बैंक का HDIL और DHFL के साथ डीलिंग में हो रही जालसाजियों के बारे में बताया था।
आपको बता दें कि बाद में कर्ज में डूबकर HDIL और DHFL दोनों दिवालिया हो गई। इस लेटर में व्हीसलब्लोअर ने HDIL और DHFL के साथ PMC बैंक के अधिकारियों के नेक्सस को उजागर किया था। HDIL और DHFL एक ही परिवार Wadhawans की कंपनियां थीं और उनपर इस मामले में कार्रवाई हो रही है।
व्हीसलब्लोअर ने अपने लेटर में कहा था कि PMC Bank ने HDIL के साथ मिलकर अपने डिपोडिट्स में हेरफेर की और बदले में HDIL की पूरी ब्लैक मनी PMC बैंक के कैश डिपोजिट में दिखाया गया। इस बढ़ी हुई कैश लिमिट की जानकारी RBI को नहीं दी गई। इस लेकर में बैंक के NPA के बारे में भी खुलासा किया गया था।
इस लेटर में Whistleblower ने बताया कि PMC बैंक का एक्चुअल NPA 9% था, लेकिन बैंक ने इसे केवल 1% दिखाया। साथ ही PMC बैंक ने अपने सिस्टम में 250 करोड़ रुपये का फेक डिपोजिट दिखाया। बैंक ने NPA करने वाली कंपनियों जैसे कि DHFL और HDIL को बडी मात्रा में फ्रेश लोन दिया।
यह लोन इन कंपनियों के डायरेक्टर्स के रिश्तेदारों या पार्टनर के नाम पर दिए गए। फिर इस लोन से NPA का सेटरमेंट किया गया। बैंक के लोन बुक को बढ़ाने का लिए नकली डिपोजिट दिखाए गए। Whistleblower ने RBI से इस मामले की जांच करने को कहा था।
RBI ने इस लेटर को संज्ञान में लिया और 7 मार्च 2011 को इस मामले की जांच करना का आदेश PMC के CEO Joy Thomas को दिया, जिसे बाद में इस केस मे गिरफ्तार किया गया।
जांच में पता चला कि Joy Thomas ने पर्सनल असिस्टेंट से शादी करने के लिए अपना धर्म परिवर्तन कर नाम जुनैद खान कर लिया और अपना पत्नी को पुणे में 9 फ्लैट गिफ्ट में दिए। Moneycontrol ने इस लेटर की कॉपी का रिव्यू किया है। इस आर्टिकल के लिए RBI ने कोई कमेंट नहीं किया।
यह घोटाला उस समय सामने नहीं आया, क्योंकि RBI ने जिस व्यक्ति को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा था, वह खुद घोटालेबाजों के साथ मिला हुआ था और इस साजिश में शामिल था। इसके अलावा 2018-19 में स्टेटुअरी ऑडिटर्स ने अपने ऑडिट क्लासिफिकेश में PMC बैंक को A रेटिंग दिया।
यह रेटिंग ऐसे समय में दी गई जब बैंक में बड़े पैमाने पर फ्रॉड हो रहा था।
इस मामले में ऑडिटर Lakdawala and Co का रोल भी जांच के घेरे में है। मनीकंट्रोल ने इस मामले में ऑडिटर से संपर्क नहीं कर पाया, क्योंकि ऑडिटर का कोई वेबसाइट या ईमेल उपलब्ध ही नहीं है। इस मामले में ऑडिटर्स बैंक की गड़बड़ी पकड़ने में नाकाम रहे और इसे टॉप रेटिंग दे दी। अगर RBI और ऑडिटर ने अपना काम ठीक से किया होता, तो इस घोटाले को रोका जा सकता था।
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