अभिषेक अनेजा
फाइनेंस एक्ट 2019 के साथ इनकम टैक्स एक्ट में सेक्शन 194N जोड़ा गया था और यह शुरुआत में एक करोड़ रुपये से अधिक के कैश विड्रॉल पर लागू था। इसका उद्देश्य कैश ट्रांजैक्शंस को कम करना और बड़े नकद भुगतान की निगरानी करना था।
हालांकि, फाइनेंस एक्ट 2020 में इस लिमिट को घटाकर उन टैक्सपेयर्स के लिए 20 लाख रुपये कर दिया गया जिन्होंने पिछले तीन फाइनेंशियल ईयर के लिए इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है। फिस्कल ईयर 2020-21 के बाद से हर वित्त वर्ष में पिछले तीन साल के रिटर्न की कॉपी के साथ डिक्लेयरेशन दाखिल करना जरूरी है। 1 अप्रैल 2021 से यही दस्तावेज बैंक में भी जमा करना जरूरी है। अगर आपने अभी तक यह नहीं किया है तो तुरंत करें।
सेक्शन 194N का दायरा
किसी बैंक, पोस्ट ऑफिस से किसी व्यक्ति, हिंदु अविभाजित परिवार (HUF), कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, LLP, लोकल अथॉरिटी, ट्रस्ट की ओर से कैश विड्रॉल किए जाने पर सेक्शन 194N लागू होगा।
TDS का क्रेडिट
बैंक की ओर से काटा गया TDS लागू फाइनेंशियल ईयर के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने पर चुकाए गए टैक्स के बदले क्रेडिट के तौर पर उपलब्ध होगा। अगर टैक्स का भुगतान कम पड़ता है तो अतिरिक्त चुकाए गए टैक्स को रिफंड के तौर पर क्लेम किया जा सकता है। हालांकि, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से टैक्सपेयर से कैश ट्रांजैक्शंस को लेकर जानकारी मांगी जा सकती है।
अगर प्राप्तकर्ता के पास PAN नहीं है
अगर बैंक के पास राशि को प्राप्त करने वाले व्यक्ति का PAN उपलब्ध नहीं है तो TDS रेट बढ़कर 20 प्रतिशत हो जाएगा और इसके साथ लागू सेस और सरचार्ज भी लगेगा।
कई एकाउंट या एक एकाउंट
ये प्रावधान प्राप्तकर्ता के PAN के आधार पर वर्ष के दौरान सभी एकाउंट्स से निकाली गई पूरी राशि के लिए लागू होंगे।
प्रावधान से किसे मिली है छूट
कैश विड्रॉल पर TDS से राज्य और केंद्र सरकार, बैंकिंग कंपनी, बैंकिंग कंपनी के व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर, बैंकिंग कंपनी के बिजनेस कॉरेसपॉन्डेंट, ऐसे अन्य व्यक्ति जिनके लिए केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन दिया गया है, एपीएमसी कानून के तहत आने वाले कमीशन एजेंट या ट्रेडर और रिजर्व बैंक से लाइसेंस प्राप्त मनी चेंजर और उनके फ्रेंचाइजी एजेंट्स को छूट मिलेगी।
ITR और डिक्लेयरेशन फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया
प्रत्येक बैंक ने इनकम टैक्स रिटर्न के साथ डिक्लेयरेशन फॉर्म को जमा करने की ऑफलाइन या ऑनलाइन व्यवस्था की है। टैक्सपेयर को जरूरी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए लिए अपने बैंक की ब्रांच से संपर्क करना होगा। टैक्सपेयर्स को बैंक से अपने रिकॉर्ड की प्राप्ति का प्रमाण लेना चाहिए।
(लेखक CA हैं)
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