कंपनियां पक्के तौर पर जीएसटी में कमी का फायदा ग्राहकों को देंगी, क्योंकि इससे कंजम्प्शन को बढ़ावा मिलेगा। डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने 11 सितंबर को मनीकंट्रोल से यह कहा। डाबर इंडिया देश की बड़ी एफएमसीजी कंपनियों में से एक है। इंडस्ट्री चैंबर सीआईआई के प्रोग्राम में हिस्सा लेने आए मल्होत्रा ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि जैसे ही जीएसटी के नए रेट्स लागू होंगे, चीजों की कीमतों में कमी दिखेगी।
जीएसटी के नए रेट्स लागू होने पर कीमतों में कमी आएगी
उन्होंने कहा, "सीआईआई में हम इस मसले पर अलग-अलग सेक्टर के हिसाब से चर्चा कर रहे हैं... हमें पूरा यकीन है कि नए रेट्स के लागू होते ही कीमतों में कमी आएगी।" इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी रिफॉर्म्स के प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाएगी। जीएसटी लागू होने के 8 साल बाद जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी का फ्रेमवर्क बदल दिया है। अब चार की जगह सिर्फ दो स्लैब होंगे। जीएसटी के रेट्स में बदलाव 22 सितंबर से लागू हो जाएगा।
जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी फ्रेमवर्क को आसान बना दिया है। सिर्फ 5 फीसदी और 18 फीसदी के स्लैब को रखा गया है। 12 फीसदी और 28 फीसदी वाले स्लैब को खत्म कर दिया गया है। एक स्पेशल 40 फीसदी का स्लैब बन गया है जो लग्जरी और सिन प्रोडक्ट्स जैसे तंबाकू, सिगरेट आदि पर लागू होगा। खास बात यह है कि रोजाना इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर चीजें अब 5 फीसदी के स्लैब में आ गई हैं।
क्लासिफिकेशन का मसला भी सुलझाया गया
क्लासिफिकेशन के मसले पर मल्होत्रा ने कहा कि इसे सुलझा लिया गया है। उन्होंने कहा कि पहले ब्रांडेड और गैर-ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के लिए जीएसटी के रेट्स अलग-अलग थे। अलग वेरायटीज के मामले में भी रेट्स में फर्क था। अब ये सब चीजें खत्म हो गई हैं। पिछले साल पॉपकॉर्न पर जीएसटी के रेट्स को लेकर काफी चर्चा हुई थी। जीएसटी काउंसिल ने पॉपकॉर्न की अलग-अलग वेरायटी के लिए अलग-अलग रेट तय किए थे। नमक और मसाले मिले पॉपकॉर्न पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है। अब नमक और मसाले मिले पॉपकॉर्न पर 5 फीसदी जीएसटी लागू होगा भले ही उसे लूज बेचा जाए या लेबलिंग के बाद बेचा जाए। पहले लूज में 5 फीसदी और लेबल्ड प्रोडक्ट पर 12 फीसदी जीएसटी था।
इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या के बाद में सुलझने की उम्मीद
डाबर के सीईओ ने कहा कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या अभी पूरी तरह नहीं सुलझी है। उन्होंने कहा कि सर्विसेज पर इंडस्ट्री को 18 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा। लेकिन, एंड-प्रोडक्ट पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा। उन्होंने कहा कि हमें सर्विसेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता है। वेयरहाउसिंग कॉस्ट और मीडिया कॉस्ट इसके उदाहरण हैं। लेकिन, उम्मीद है कि आगे इन मसलों का भी समाधान निकल जाएगा।