Adani Enterprises Share Price: अदाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों को आज करारा झटका लगा। इसके शेयरों पर एक खुलासे से बड़ा दबाव आया जिसमें सामने आया कि इसकी गुजरात स्थित कॉपर स्मेल्टर को पूरी क्षमता से चलाने के लिए जितना कॉपर यानी तांबा चाहिए, उसका बस दसवां हिस्सा भी नहीं मिल पा रहा है। अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों की बात करें तो आज बीएसई पर यह 2.71% की गिरावट के साथ ₹2333.70 पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 3% टूटकर ₹2326.75 तक आ गया था। एक साल में शेयरों के चाल की बात करें तो 3 मार्च 2025 को यह एक साल के निचले स्तर ₹1964.07 पर था जिससे छह महीने में यह 32.96% उछलकर 23 सितंबर 2025 को एक साल के हाई ₹2611.46 पर पहुंच गया था।
Kutch Copper को कितना कॉपर चाहिए और मिल कितना रहा?
जानकारी के मुताबिक अदाणी ग्रुप के गुजरात में स्थित करीब $120 करोड़ के कॉपर स्मेल्टर को सालाना 5 लाख टन अयस्क चाहिए, लेकिन इसका दसवां हिस्सा भी नहीं ही हासिल कर पाई। कस्टम के आंकड़ों के मुताबिक बीएचपी ग्रुप ने स्मेल्टर को 4700 टन सप्लाई की है जबकि दूसरे शिपमेंट्स ग्लेनकोर (Glencore) और हुडबे (Hudbay) से आए। अदाणी एंटरप्राइजेज की सब्सिडरी कच्छ कॉपर (Kutch Copper) ने कई बार की देरी के बाद आखिरकार जून में मेटल प्रोसेसिंग शुरू की थी लेकिन कस्टम के आंकड़ों के हिसाब से अब तक यह जरूरत के दसवें हिस्से से भी कम जुटा पाई।
इस साल के शुरुआती 10 महीने में इसने 1.7 लाख टन कॉपर कंसेंट्रेट आयात किया जबकि न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इसकी प्रतिद्वंद्वी हिंडाल्को ने इस दौरान 10 लाख टन से अधिक आयात किया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक स्मेल्टर को पूरी क्षमता से काम करने के लिए करीब 16 लाख टन कंसेंट्रेट की जरूरत पड़ती है। चूंकि कच्छ कॉपर नई प्लेयर है और इसकी योजना चार साल में अपनी सालाना क्षमता को दोगुना कर 10 लाख टन तक करने की है लेकिन टाइट सप्लाई के चलते इसे अपनी फैसिलिटी को चालू रखने के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है।
दुनिया भर के कॉपर स्मेल्टर्स को इस साल खदानों में रुकावटों के कारण सप्लाई की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी प्रमुख प्रोड्यूसर्स में फ्रीपोर्ट-मैकमोरन, हुडबे मिनरल्स, इवानहो माइन्स और चिली की सरकारी कंपनी कोडेल्को हैं। इसके अलावा चीन अपनी खुद की स्मेल्टिंग कैपेसिटी का तेजी से विस्तार कर रहा है जिसने कॉपर की सप्लाई को प्रभावित किया क्योंकि इसने प्रॉफिट मार्जिन को कम कर दिया तो कई प्रोड्यूसर्स ने उत्पादन ही घटा दिया या प्लांट ही बंद कर दिया। इन वजहों से माइनर्स प्रोसेसिंग के लिए जो ट्रीटमेंट और रिफाइनिंग चार्जेज देते हैं, वह इस साल के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया यानी कि स्मेल्टर्स को कॉपर हासिल करने के लिए कम मार्जिन पर ही काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।