कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशियंसी (कैफे) के अगले चरण के नियमों को लेकर इंडियन इंडस्ट्री दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशियंसी (बीईई) ने इस बारे में एक ड्राफ्ट पेश किया है। इसमें वजन और कीमत के आधार पर छोटे कारों की कैटेगरी तय करने का प्रस्ताव है। मारुति सुजुकी, टोयोटा, होंडा और रेनॉ इस प्रस्ताव का समर्थन कर रही हैं। लेकिन, टाटा मोटर्स, ह्युंडई, महिंदा एंड महिंद्रा सहित कई कंपनियां इस प्रस्ताव के विरोध में हैं।
टाटा मोटर्स, ह्युडंई की दलील
Tata Motors, Hyundai, Mahindra & Mahindra जैसी कंपनियों की दलील है कि अगर वजन और कीमत के आधार पर नए नियमों में किसी तरह की रियायत दी जाती है तो इससे मार्केट पर खराब असर पड़ेगा। इससे उन ऑटो कंपनियों को नुकसान होगा, जो कई सेगमेंट्स की गाड़ियों का उत्पादन करती हैं। इस प्रस्ताव को लेकर देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनियां दो खेमों में बंटी नजर आ रही है।
SIAM में इस मसले पर हुई है चर्चा
एक बड़ी कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कहा कि इस मसले पर सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) में इस मसले पर चर्चा हुई है। लेकिन, उसका कोई नतीजा नहीं निकला है। उन्होंने कहा, "कई OEM में स्मॉल कारों को लेकर सहमति नहीं है। सियाम में कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई है। इनमें एक प्रस्ताव कीमत के आधार पर छोटी कारों का सेगमेंट तय करने से जुड़ा है।"
कीमत के आधार पर तय की जा सकती है कैटेगरी
इंडस्ट्री से जुड़े एक दूसरे सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कहा कि अगर वजन को आधार बनाया जाता है तो कीमत की अनदेखी नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, "अगर वजन पर विचार किया जा सकता है तो हमारी दलील है कि कीमत पर भी विचार किया जा सकता है।" उन्होंने कहा कि एक दोपहिया और एंट्री लेवल की कार की कीमत के बीच फर्क 3.5 से 4 गुना है।
कम वजन का मतलब कम कीमत नहीं
इंडस्ट्री के दूसरे एग्जिक्यूटिव्स का भी मानना है कि कम वजन का मतलब हमेशा कम कीमत नहीं होती है। 909 किलोग्राम से कम वजन वाली ऐसी कई गड़ियां है, जिनका रिटेल प्राइस 10 लाख रुपये के करीब है।
टाटा मोटर्स ने ड्राफ्ट फ्रेमवर्क का किया विरोध
टाटा मोटर्स ने वजन के आधार पर कैटेगरी तय करने के प्रस्ताव का जमकर विरोध किया है। टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स के एमडी छऔछर सीईओ शैलेश चंद्रा ने सितंबर तिमाही के नतीजे पेश करने के दौरान इस बारे में ड्राफ्ट फ्रेमवर्क का विरोध किया। उन्होंने कहा, "वजन के आधार पर छोटी कारों की कैटेगरी तय करने की एक तरफा कोशिश हो रही है। हम इसका समर्थन नहीं करते हैं।"
CAFE 3 के नियम 1 अप्रैल, 2027 से लागू होने वाले हैं। ये काफी सख्त हैं। CO2 Emission के संशोधित टारगेट को सख्त कर 88.4 ग्राम/किलोमीटर तय किया गया है। पहले इसके 91.7 ग्राम/किमी और CAFE 2 के 113 ग्राम/किलोमीटर के मुकाबले काफी कम रहने की उम्मीद थी। फ्लीट एवरेज टारगेट का पालन नहीं करने वाली कार कंपनियों को भारी पेनाल्टी चुकानी होगी।