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Gut Health: भागदौड़ की जिंदगी में बिगड़ रही आंत की सेहत! GI सर्जन ने बताईं सुधार की आसान देसी टिप्स

Gut Health: आंत की सेहत के लिए प्रोसेस्ड फूड, एंटीबायोटिक्स और एक जैसी डाइट से बचना काफी जरूरी है इसके साथ ही सब्जियां, फर्मेंटेड देसी चीजें, व मोटे अनाज-दाल को अपने रोज के खाने में शामिल करें।

अपडेटेड Aug 26, 2025 पर 3:36 PM
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शहरी जीवन की दौड़ में सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, वो हमारी आंत यानि ‘गट’ स्वास्थ्य को होता है। आजकल हर कोई पेट की दिक्कतें, पाचन में गड़बड़ी या इम्युनिटी कमजोर होने की बात करता है, और इसके पीछे सबसे अहम कारण है हमारी गट हेल्थ का गड़बड़ाना। मशहूर GI कैंसर सर्जन डॉ. हेमंत जैन का मानना है कि आंत में रहने वाले लाभकारी बैक्टीरिया और माइक्रोब्स का संतुलन ही गौरवपूर्ण सेहत की बुनियाद है पर आधुनिक खानपान और जीवनशैली अब इस संतुलन को बुरी तरह प्रभावित करने लगे हैं।

डॉ. जैन कहते हैं, “पेट के बैक्टीरिया सिर्फ पाचन नहीं, बल्कि इम्युनिटी, मेटाबॉलिज्म और मानसिक स्थिति तक में भूमिका निभाते हैं। भारत के लोगों का खानपान इसीलिए इतनी सराहना पाता है, क्योंकि उसमें फाइबर, विविधता और प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स भरपूर होते थे। लेकिन आज की फूडी ट्रेंड्स, प्रोसेस्ड फूड्स और जल्दीबाजी ने गट को कमजोर बना दिया है।”

सर्जन की नजर में, पेट की सेहत बिगाड़ने वाली चार सबसे आम वजहें हैं:

1. ज्यादा प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन:

पैक्ड स्नैक्स, सॉफ्ट ड्रिंक, तला-भुना खाना ये सब फाइबर कम, शुगर और तेल ज्यादा लिए रहते हैं, जो गट के अच्छे बैक्टीरिया को खत्म कर सकते हैं।


2. खाने में विविधता की कमी:

पहले जहां दाल, सब्जियां, फल, बीज और दही-इडली जैसी चीजें रोज खाई जाती थीं, अब एक जैसे खाने का चलन बढ़ गया है। इससे पेट में रहने वाले माइक्रोबीज को जरूरी फाइबर और पोषक तत्व नहीं मिल पाते।

3. अधिक एंटीबायोटिक्स व कीटनाशकों की झलक:

बिना डॉक्टरी सलाह पर दवा का इस्तेमाल और हर सब्जी/फल में रसायन का मिला होना भी पेट की फ्लोरा के संतुलन को बिगाड़ता है।

4. निष्क्रिय जीवनशैली:

शहरी जीवन में तनाव, नींद की कमी व नियमित खानपान का अभाव आम हो गया है, जिससे गट माइक्रोबायोम कमजोर पड़ता है।

हेल्दी गट के लिए देसी उपाय

डॉ. जैन की सलाह है कि गट हेल्थ सुधारने के लिए पारंपरिक भारतीय खानपान की ओर लौटना चाहिए जैसे

1. रोजाना रंग-बिरंगी सब्जियां, फल और मेवे खाएं:

जैसे- पालक, गाजर, ब्रोकली, चुकंदर और तमाम स्थानीय फल व मेवे पेट के माइक्रोबीज को तरह-तरह का फाइबर, विटामिन और मिनरल मुहैया कराते हैं।

2. देसी फर्मेंटेड फूड्स अपनाएं:

हमारी रसोई में दही, मठ्ठा, अचार, इडली, डोसा, कंजी जैसे पारंपरिक फर्मेंटेड खाद्य प्रोबायोटिक्स का नैचरल स्रोत हैं, जिनके नियमित सेवन से गट बैलेंस सुधरता है।

3. मोटे अनाज, दालें और जौ, रागी जैसे अनाज मुख्य रखें:

गेंहू, चावल के अलावा ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, चना, मसूर जैसी दालें पेट के लिए वरदान हैं, जिनमें घुलनशील फाइबर और पोषक तत्व पाए जाते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

डॉ. जैन ने साफ कहा है, “गलत खानपान, अनुशासनहीन आदतें और आधुनिकता के नाम पर सेहत से समझौता हमारी गट हेल्थ को बर्बाद कर सकता है। अगर हम थोड़ा सा ध्यान दे कर फेरबदल करें और विविधता, फाइबर और देसी खानपान लें इससे न केवल पेट बल्कि पूरी शरीर की बीमारी से दूरी बनाई जा सकती है।”

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