पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में कैंसर की समस्या दिन पर दिन गंभीर रूप लेती जा रही है। एक ताजा क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन ने इस क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। 2015 से 2019 तक के 43 जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों (PBCRs) के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए विशेषज्ञों ने पाया कि यहां कैंसर के मामले न सिर्फ तेजी से बढ़े, बल्कि मौत का अनुपात भी बाकी देश से अधिक रहा है।
स्टडी के मुताबिक, मिजोरम, आइजोल, पापुमपारे, कामरूप शहरी और पूर्वी खासी हिल्स जैसे इलाकों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। अकेले मिजोरम में पुरुषों के लिए जीवनकाल में कैंसर का जोखिम करीब 21% तक है, यानी हर पांच में से एक पुरुष को उनकी पूरी जिंदगी में कम से कम एक बार कैंसर होने की संभावना रहती है। महिलाओं में भी यह जोखिम 18.9% दर्ज किया गया, जो कि पूरे देश के औसत (11%) से कहीं ज्यादा है।
किस-किस तरह के कैंसर हैं कॉमन?
रिपोर्ट बताती है कि पुरुषों में मुख, फेफड़ों और प्रोस्टेट कैंसर सबसे सामान्य हैं, जबकि महिलाओं में मुख्यतः स्तन, सर्वाइकल और ओवरी कैंसर के मामले देखे गए। बड़े शहरों में भले ही स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हों, दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में भी पुरुषों में कैंसर की दर ऊपर देखी गई।
क्या हैं कैसर बढ़ने के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्वोत्तर क्षेत्रों में कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी के पीछे कई वजहें जिम्मेदार हैं:
- तंबाकू, धूम्रपान और शराब का ज्यादा इस्तेमाल
- जीवनशैली और खान-पान की अस्वस्थ आदतें
- दूर-दराज और पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में कमी
- महिलाओं में जागरूकता की कमी, जिससे वे शुरुआती लक्षण अनदेखा कर देती हैं
- पर्यावरणीय और आनुवांशिक कारकों का प्रभाव।
कैंसर के खतरे को कम करने के लिए सिर्फ इलाज पर निर्भर रहना सही तरीका नहीं है। रोकथाम और जागरूकता के लिए यह कदम उठाने जरूरी हैं:
- तंबाकू और शराब के उपभोग को सीमित करना
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराना
- महिलाओं के लिए स्तन और सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग पर जोर देना
- हेल्दी डाइट, व्यायाम और योग से जीवनशैली में सुधार
- सरकारी योजनाएं और स्वास्थ्य सेवाएं पहाड़ी और दूरदराज क्षेत्रों तक पहुंचाना।
समय पर जांच ही है सबसे बड़ा हथियार
रिपोर्ट में साफ है कि पूर्वोत्तर भारत के लिए कैंसर अब एक आपदा बनता जा रहा है। लोगों को जागरूक कर और स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर ही स्थिति सुधारी जा सकती है। समय रहते जांच और रोकथाम सबसे मददगार साबित होगी। यही कैंसर के खतरे को कम करने का सबसे बेहतर तरीका है।