Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हो गई। इस मंदिर को 81 साल के चंद्रकांत बी सोमपुरा (Chandrakant B Sompura) और उनके 51 साल के बेटे आशीष (Ashish) ने नागर शैली (Nagara style) की वास्तुकला में इसे डिजाइन किया है। मंदिर के डिजाइन और निर्माण के लिए सोमपुरा से सबसे पहले विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad – VHP) के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने संपर्क किया था। सोमपुरा को जगह का निरीक्षण करने और माप लेने के लिए अयोध्या भेजा गया था। भारी सुरक्षा बल की वजह से उन्हें मापने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लिहाजा फीता की जगह उन्होंने अपने कदमों से माप की थी।
इसके बाद इसके मंदिर को बनाने के लिए 3 डिजाइन तैयार किए गए। कई दशकों के बाद उनके दो बेटों निखिल और आशीष सोमपुरा ने राम मंदिर निर्माण में उनकी मदद की। राम मंदिर को बनाने के लिए नागर शैली को चुना गया है। इसकी वजह ये है कि उत्तर भारत और नदियों से सटे हुए इलाकों में यही शैली प्रचलित है। इस वास्तुकला की अपनी खासियतें हैं।
मंदिर बनाने की तीन शैलियां प्रमुख थीं। इसमें नागर, द्रविड़ और वेसर हैं। 5वीं सदी के उत्तर भारत में मंदिरों पर ये प्रयोग होने लगा था। इसी दौरान दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली से भी मंदिर बनाए जाने लगे थे। नागर शैली में मंदिर बनाते हुए कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है। इसमें मुख्य इमारत ऊंची जगह पर बनी होती है। नागर शैली में मंदिर का मुख्य भवन एक ऊंचे चबूतरे पर बनाया जाता है। इस चबूतरे पर ही एक गर्भगृह (sanctum sanctorum) बना होता है। यानी वो बंद स्थान, जहां मंदिर के प्रमुख देवता की मूर्ति होती है। गर्भगृह को मंदिर का सबसे पवित्र हिस्सा माना जाता है। गर्भगृह के ऊपर ही शिखर होता है। ये शिखर ही नागर शैली के मंदिरों का सबसे खास पहलू है।
नागर शैली में बना यह मंदिर ठोस पत्थर की नींव पर खड़ा है। 30 सालों से एकत्र की गई कई भाषाओं में भगवान राम नाम की लिखी ईंटों को मंदिर बनाने में इस्तेमाल किया गया है। इन ईंटों की संख्या करीब 2 लाख होगी। मंदिर जिस चबूतरे पर बनाया गया है, इसे महापीठ (mahapeeth) के नाम से जाना जाता है। भगवान राम के मंदिर की लंबाई पूर्व से पश्चिम 380 फीट है। ऊंचाई 161 फीट हैं। यह मंदिर तीन मंजिला है। हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। राम मंदिर में कुल 300 से ज्यादा खंभे हैं। इसमें 44 दरवाजे हैं।
मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। मंदिर में कुल 5 मंडप हैं। मंदिर की नींव के निर्माण में RCC की 14 मीटर मोटी परत का इस्तेमाल किया गया है। यह किसी चट्टान से कम नहीं है। मंदिर को बनाने में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ग्रेनाइट का उपयोग करके जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए 21 फीट ऊंचा चबूतरा बनाया गया है।