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केंद्र सरकार ने 22,000 करोड़ रुपये के 5 डिफेंस प्रस्तावों का मंजूरी दी, रक्षा तैयारियों को बेहतर बनाने का मकसद

डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने 3 दिसंबर को 21,772 करोड़ रुपये के 5 अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इसका मकसद रक्षा संबंधी तैयारियों के लिए और बेहतर तरीके से काम करना है। DAC ने वॉटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट, रेडार वॉर्निंग और एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर आदि के प्रोक्योरमेंट प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है

अपडेटेड Dec 03, 2024 पर 6:53 PM
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DAC ने T-72 और T-90 टैंकों और सुखोई फाइटर विमान के इंजन के मेंटेनेंस की भी मंजूरी दी है।

डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने 3 दिसंबर को 21,772 करोड़ रुपये के 5 अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इसका मकसद रक्षा संबंधी तैयारियों के लिए और बेहतर तरीके से काम करना है। DAC ने वॉटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट, रेडार वॉर्निंग और एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर आदि के प्रोक्योरमेंट प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है।

इन प्रस्तावों के तहत, भारत नौसेना के लिए 31 नए वॉटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट की खरीदारी करेगा। ये क्राफ्ट समुद्री तटों के पास निगरानी, पेट्रोलिंग और बचाव ऑपरेशंस को अंजाम देंगे। ये जहाज अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री डाकुओं के खिलाफ अभियान में भी मदद करेंगे। काउंसिल ने 120 फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट (FIC-1) की खरीदारी को भी मंजूरी है। ये ऐसे समुद्री जहाज हैं, जो कई तरह की भूमिका निभा सकते हैं। ये न सिर्फ एयर क्राफ्ट कैरियर का काम कर सकते हैं, बल्कि फ्रिजेट और सबमरीन की भी भूमिका निभाएंगे।

एसयू-30 एमकेआई (SU-30 MKI) की ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वॉरफेयर सूट (EWS) का अधिग्रहण शुरू किया जाएगा। EWS में एयरक्राफ्ट के लिए एक्सटर्नल सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर पॉड, नेक्स्ट जेनरेशन रेडार वॉर्निंग रिसीवर आदि होगा। EWS, एसयू-30 एमकेआई की क्षमताओं को बढ़ावा देगा और इसे हमले और मिशन के दौरान दुश्मनों के रेडार से बचाएगा।


नवंबर के शुरू में भारत ने मोजांबिक को गिफ्ट के तौर पर दो फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट (FIC) दिए थे। इसका मकसद हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में सहयोग बढ़ाना था। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL) ऐसी डिफेंस पीएसयू में शामिल हैं, जिसने भारतीय एयरफोर्स के लिए EWS डिवेलप किया था। DAC ने T-72 और T-90 टैंकों और सुखोई फाइटर विमान के इंजन के मेंटेनेंस की भी मंजूरी दी है, जिसका मकसद उपकरण की ऑपरेशनल अवधि को बढ़ाना देना है।

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