Chandrayaan-5 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन वी. नारायणन ने रविवार (16 मार्च) को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए महत्वाकांक्षी 'चंद्रयान-5 मिशन' को हाल ही में मंजूरी दे दी है। नारायणन ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि यह मिशन जापान के सहयोग से संचालित किया जाएगा। एक सम्मान समारोह में बोलते हुए ISRO प्रमुख ने कहा कि 'चंद्रयान-5' को हाल ही में हरी झंडी मिली है।
बेंगलुरु मुख्यालय में इसरो प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने पर उन्हें सम्मानित करने के लिए आयोजित एक समारोह में नारायणन ने कहा कि 'चंद्रयान-5 मिशन' के तहत, चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम का रोवर भेजा जाएगा। जबकि चंद्रयान-3 मिशन में 25 किलोग्राम का रोवर 'प्रज्ञान' ले जाया गया था।
चंद्रयान मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह का अध्ययन करना है। इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जिसके लैंडर विक्रम ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक 'सॉफ्ट लैंडिंग' की।
पीटीआई के मुताबिक नारायणन ने कहा, "बस तीन दिन पहले ही हमें चंद्रयान-5 मिशन के लिए मंजूरी मिली है। हम इसे जापान के सहयोग से करेंगे।" चंद्रयान-4 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा से एकत्रित सैंपल को लाना है। ऐसी संभावना है कि चंद्रयान-4 को साल 2027 में लॉन्च किया जाएगा।
इसरो की भविष्य की परियोजनाओं के बारे में नारायणन ने कहा कि 'गगनयान' सहित विभिन्न मिशनों के अलावा, भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन-भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजनाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-5 मिशन के ऐलान के बाद देशभर में वैज्ञानिक समुदाय में उत्साह है,। अब सभी की नजरें इस नए मिशन पर टिकी हैं।
इसरो प्रमुख ने बताया कि इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन के तहत 25 किलोग्राम का रोवर प्रज्ञान चांद पर भेजा गया था, जो सफलतापूर्वक लैंड हुआ था। इस बार चंद्रयान-5 में अधिक क्षमता वाला रोवर भेजा जाएगा, जिससे चंद्रमा की सतह पर और गहराई से अध्ययन किया जा सकेगा।
एक बयान में बताया गया कि इस मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारना, चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के सैंपल इकट्ठा करना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है। इस मिशन पर 2,104 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस स्पेसक्राफ्ट में पांच अलग-अलग मॉड्यूल होंगे।