Chhattisgarh Encounter And Who Was Chalapati : रामचंद्र रेड्डी, अप्पाराव और रामू जैसे कई उपनामों से जाने जाने वाले नक्सली चलपति को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया है। बीते मंगलवार को ओडिशा और छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में सुरक्षाबलों के एक साथ किए गए ऑपरेशन में 1 करोड़ रुपये का इनाम रखने वाला नक्सली जयाराम उर्फ चलपति मारा गया। चलपति ओडिशा और आंध्र प्रदेश में नक्सलियों का नेता था। उसे नक्सल आंदोलन में तकनीक प्रेमी के रूप में जाना जाता था।
60 वर्षीय चलपति छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों में मास्टमांइड में से एक था। अपने पिछले ठिकानों पर बढ़ते मुठभेड़ अभियानों से बचने के लिए वे हाल ही में ओडिशा बॉर्डर में पनाह ली थी। चलपति मूल रूप से चित्तूर, आंध्र प्रदेश के मदनपल्ले के रहने वाले था और 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की थी। इतनी कम शिक्षा के बावजूद भी वो माओवादी आंदोलन में आगे बढ़ा और संगठन के भीतर एक शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, केंद्रीय समिति सदस्य (CCM) में एक कैडर बन गया। उनसे कई संवेदनशील प्लान को अंजाम तक पहुंचाया था, इसके कारण ही इसके सिर पर सरकार ने एक करोड़ का इनाम रखा था। चलपति, घने जंगलों में ही रहता और उसकी सुरक्षा में 8 से 10 नीजी गार्ड तैनात रहते।
कई हाई-प्रोफाइल हमलों को दिया अंजाम
माओवादियों के बीच चलपति का तेजी से दबदा तब बना जब उसने कई हाई-प्रोफाइल हमलों को अंजाम दिया, जिसमें एक विधायक की हत्या भी शामिल थी। उस पर 23 सितंबर, 2018 को अराकू के डुम्ब्रीगुडा मंडल में हुए हमले का मास्टरमाइंड होने का भी आरोप था, जिसमें अराकू घाटी के टीडीपी विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व टीडीपी विधायक सिवेरी सोमा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वर्षों के हिंसक हमलों के बाद, सोमवार को सुरक्षा बलों ने हाई-प्रोफाइल माओवादी कमांडर को मार गिराया। उन्होंने खुफिया सूचनाओं के आधार पर ऑपरेशन शुरू किया कि कुछ माओवादी ओडिशा सीमा से लगभग 5 किमी दूर छत्तीसगढ़ के कुलारीघाट रिजर्व फॉरेस्ट में छिपे हुए हैं।
एक सेल्फी बनी मौत का कारण!
जयाराम उर्फ चलपति पर पिछले 6 साल में नक्सल हमलों की वजह से सरकार ने चलपति पर इनाम बढ़ाकर 20 लाख से 1 करोड़ रुपये कर दिया था। उसके ऊपर नक्सल मूवमेंट को फिर से ताकत देने का आरोप था। 2016 में आंध्र प्रदेश पुलिस ने एक नक्सली, जिसका नाम आजाद था, को पकड़ा। आजाद की गिरफ्तारी के दौरान पुलिस को उसका लैपटॉप मिला। जब पुलिस ने लैपटॉप को चेक किया, तो उसमें चलपति और उसकी पत्नी अरुणा की एक तस्वीर मिली। इस तस्वीर के बाद से ही चलपति पुलिस और सुरक्षाबलों की नजर में आ गया। उस तस्वीर के तीन महीने बाद ही अरुणा एक मुठभेड़ में मारी गई। अरुणा की मौत के 8 साल बाद अब खुद चलपति भी मारा गया। कहा जाता है कि अगर पुलिस को चलपति की तस्वीर नहीं मिलती, तो उसे पहचानना सुरक्षाबलों के लिए बहुत मुश्किल हो सकता था। इसके पीछे वजह यह थी कि पुलिस के पास चलपति की सिर्फ एक पुरानी तस्वीर थी, जो 2016 से पहले की थी।