प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य के कथित शराब घोटाले की चल रही जांच के तहत सोमवार को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में 14 जगहों पर छापे मारे। छापेमारी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य के घर और दूसरे ठिकानों पर रेड हुई। ED सूत्रों के अनुसार,कथित तौर पर शराब घोटाले से कमाया हुआ पैसा चैतन्य को भी मिला है। जिसमें करीब 2,161 करोड़ रुपए की चौंका देने वाली रकम कथित तौर पर अलग-अलग धोखाधड़ी योजनाओं के जरिए निकाली गई है। छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की कुल कीमत अब लगभग 4,000 करोड़ रुपए हो गई है और जांचकर्ता नए सुरागों की तलाश में हैं।
छापेमारी शुरू होते ही पूर्व मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी किया। बयान में कहा गया है, "जब सात साल से चल रहा झूठा मामला कोर्ट में खारिज हो गया, तो आज सुबह ED के मेहमान पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई घर में घुस आए। अगर कोई इस तरह की साजिशों के जरिए पंजाब में कांग्रेस को रोकने की कोशिश कर रहा है, तो उसे स्थिति का अंदाजा नहीं है।"
यह कार्रवाई जनवरी में राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लकमा की गिरफ्तारी के लगभग एक महीने बाद हुई है। लकमा की गिरफ्तारी के बाद घटनाओं की एक ऐसा सिलसिला शुरू हुआ, जिसने बघेल और उनके परिवार की जांच को और भी तेज कर दिया।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तलाशी बघेल और उनके परिवार से जुड़ी संपत्तियों और दूसरी परिसंपत्तियों पर फोकस थी, जिसमें चैतन्य और चैतन्य के करीबी सहयोगी और लक्ष्मी नारायण बंसल भी शामिल हैं, जिन्हें पप्पू बंसल के नाम से भी जाना जाता है।
ED की इतने बड़े स्तर पर छापेमारी ये बताती है कि जांच कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, जिसमें पहले से ही एक पूर्व मंत्री और कुछ नौकरशाहों सहित कई हाई-प्रोफाइल हस्तियां शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल और झारखंड में भ्रष्टाचार के कई मामलों के अलावा, ED छत्तीसगढ़ में कम से कम तीन बड़े भ्रष्टाचार मामलों - शराब, खनन या कोयला लेवी, और धान या PDS घोटाले - की जांच कर रहा है।
राज्य में भ्रष्टाचार के तीन अलग-अलग मामलों के सिलसिले में कम से कम पांच वरिष्ठ IAS अधिकारियों के ठिकानों पर छापे मारे गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। साथ ही एक वरिष्ठ पूर्व मंत्री को भी गिरफ्तार किया गया।
News18 के मुताबिक, 2018 में भारत में विदेशी शराब के दो निर्माता और विक्रेता शराब कंपनियों ने राज्य के हाई कोर्ट के सामने रिट याचिकाएं दायर कीं, जिसमें आरोप लगाया गया कि राज्य में शराब की खरीद की प्रक्रिया "मनमाना, अपारदर्शी और अस्पष्ट है, क्योंकि इसने शराब की खरीद की प्रक्रिया में अनियंत्रित और बेलगाम है।
ED ने 2023 में छत्तीसगढ़ के आबकारी या शराब घोटाले की जांच शुरू की। जांच से पता चला कि कैसे तीन डिस्टिलरी मालिकों या डिस्ट्रिब्यूटर और सरकारी अधिकारियों के एक ग्रुप के बीच सांठगांठ से सरकारी खजाने को लगभग 3,800 करोड़ रुपए (बहीखातों से बाहर) का नुकसान हुआ।
छत्तीसगढ़ राज्य में शराब की बिक्री सरकारी स्वामित्व वाली दुकानों से होती है और पहले राज्य में निजी दुकानों का कोई प्रावधान नहीं था।
News18 को मिले आबकारी विभाग के दस्तावेजों के अनुसार, राज्य में 672 ऐसी खुदरा दुकानें हैं, और इन दुकानों से औसतन प्रतिदिन 28-32 करोड़ रुपये की नकदी प्राप्त होती है। हालांकि, अवैध शराब के गिरोहों ने कथित तौर पर एक व्यापारी-राजनेता-नौकरशाह गठजोड़ की मदद से पूरे राज्य में बेहिसाब और बिना प्रोसेस की गई शराब बेचना शुरू कर दिया।