मनीकंट्रोल के राहुल जोशी, संतोष मेनन, कार्तिक सुब्बारमण और जावेद सैयद के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू में कुछ अहम बातें निकल कर सामने आई हैं। मनीकंट्रोल (Moneycontrol) को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने ग्लोबल समिट से पहले अपनी योजनाओं के बारे में खुलकर बात की। इंटरव्यू से निकली अहम बातों के बारे में यहां विस्तार से जानकारी दी जा रही है:
G20 का लोकतांत्रिकरण: प्रधानमंत्री ने जी-20 (G20) को लोकतांत्रिक स्वरूप दिए जाने की बात कही और यह भी बताया कि भारत ने अलग अंदाज में इस इवेंट का आयोजन किया है। इसके तहत, जी-20 से जुड़ी बैठकों का आयोजन सभी 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के 60 शहरों में किया गया है। आम तौर पर इस तरह के आयोजन में सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी पर फोकस होता है। मोदी ने कहा, 'इससे पहले सत्ता के गलियारों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में दिल्ली (खास तौर पर विज्ञान भवन) से बाहर सोचने को लेकर कुछ संकोच था। सुविधा या भरोसे की कमी की वजह से शायद ऐसा रहा हो।'
मोदी का कहना था कि उन्होंने विज्ञान भवन से पॉलिसी संबंधी कोई अहम ऐलान नहीं किया है।दरअसल, द्विपक्षीय कूटनीतिक गतिविधियों में भी मोदी सरकार के विकेंद्रीकरण आधारित रवैये की झलक मिलती है। जर्मनी की तत्कालीन चांसलर एजेंला मर्केल की मेजबानी बेंगलुरु में की गई थी। इसके अलावा, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रॉन और तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने वाराणसी का दौरा किया था।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना शेख हसीना शांतिनिकतेन में आई थीं, जबकि फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद 2016 में चंडीगढ़ पहुंचे थे। प्रधानमंत्री का यह भी कहना था कि दिल्ली से बाहर इन आयोजनों का मामला सिर्फ एनडीए शासित राज्यों तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, 'मैंने जिन राज्यों का जिक्र यहां किया है, उनमें कई राज्यों में उस वक्त गैर-एनडीए की सरकार थी। यह संघीय ढांचे में हमारे भरोसे का प्रतीक है।'
ग्लोबल साउथ के लिए डिजिटल विकल्प: प्रधानमंत्री ने इस इंटरव्यू में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में भी बात की। इससे पता चलता है कि भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर काफी जोर दे रहा है और किस तरह से यह जी-20 की अध्यक्षता में सेंट्रल थीम के तौर पर उभरकर सामने आया है। इसका न सिर्फ इकनॉमी और सामाजिक गतिविधियों पर असर होता है, बल्कि यह भारतीय कूटनीति का अहम टूल भी बन गया है।
जन धन-आधार- मोबाइल (JAM) के साथ ही डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर आधारित सिस्टम के मामले में भारत, ग्लोबल साउथ से जुड़े देशों को मदद मुहैया करा सकता है। आज के दौर में यूपीआई (UPI) अहम फाइनेंशिल टेक्नोलॉजी बन गई है।
मोदी ने कहा, 'आज भारत में जब विदेशी प्रतिनिधियों का आगमन होता है, तो वे यह देखकर हैरान रह जाते हैं कि फुटपाथ पर मौजूद छोटे-छोटे दुकानदार भी ग्राहकों को यूपीआई और क्यूआर कोड के जरिये भुगतान करने को कहते हैं।'
2024 से पहले पावर प्ले: प्रधानमंत्री ने तकरीबन एक महीना पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से कहा था कि वह अगले लाल फिर से 'वापसी करेंगे'। इससे साफ है कि सत्ता में वापसी को लेकर पीएम मोदी का भरोसा कम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, '2014 में मोदी को कोई नहीं जानता था। इसके बावजूद लोगों ने मुझे वोट दिया। 10 साल के बाद लोगों ने हर जगह थोड़ा-थोड़ा मोदी देखा है-चंद्रयान मिशन में, अमेरिका में मेरे हालिया दौरे में। अब लोग मुझे अच्छी तरह से जानते हैं। मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि लोग फिर से सही तरीके से चुनाव करेंगे।'
सारः ऐसे वक्त में जब सोशल मीडिया पर भारत बनाम इंडिया का शोर है, प्रधानमंत्री द्वारा वैश्विक कूटनीति में विकेंद्रीकरण का तड़का लगाया जाना बेहद दिलचस्प है। मनीकंट्रोल के संपादकों से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मुझे उन लोगों के साथ समस्या है, जो सोचते हैं कि दिल्ली ही हिंदुस्तान है।'