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सभी भारतीय शहरों के सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए मॉडल होगा अयोध्या : दिक्षु कुकरेजा

कुकरेजा ने अयोध्या के लिए मास्टरप्लान तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण के पहलू को ध्यान में रखने के साथ ही मास्टरप्लान में आधुनिकता और अतीत के बीच सुंदर सामंजस्य बैठाने की कोशिश की गई है

अपडेटेड Jan 24, 2024 पर 6:11 PM
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अयोध्या में ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। एनर्जी के लिए सोलर पावर का जितना इस्तेमाल किया गया है, उतना इंडिया में पहले कभी नहीं किया गया। सरयू नदी और 108 कुंडों को पुनर्जीवित करने की कोशिश की गई है।

अयोध्या (Ayodhya) के लिए मास्टरप्लान बनाने वाले कंसोर्शियम में दिक्षु कुकरेजा (Dikshu Kukreja) शामिल थे। उन्होंने मनीकंट्रोल से बातचीत में अयोध्या और इसके मास्टरप्लान के बारे में कई बातें बताईं। उनकी आर्किटेक्चर फर्म का नाम सीपी कुकरेजा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या सभी भारतीय शहरों के सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए मॉडल होगा। अयोध्या में ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। एनर्जी के लिए सोलर पावर का जितना इस्तेमाल किया गया है, उतना इंडिया में पहले कभी नहीं किया गया। सरयू नदी और 108 कुंडों को पुनर्जीवित करने की कोशिश की गई है। जल प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया गया है। शहर में स्वच्छ हवा के लिए हरित क्षेत्र बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर अयोध्या को न सिर्फ सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बल्कि वैश्विक अध्यात्मिक केंद्र बनाने पर था।

आम आदमी के शहर का रूप देने की कोशिश

कुकरेजा ने बताया कि चूंकि अयोध्या एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है, जिससे इसे स्टील और शीशे वाली इमारतों से आगे का रूप देना जरूरी था। इसे एक आदमी के शहर का रूप दिया गया है, जिससे यहां काफी पब्लिक स्पेस की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक अनुभव के लिए हमने सदियों पुराने साहित्य और कहानियां जानने की कोशिश की। सरयू को शहर की रीढ़ बनाने की कोशिश की गई है। यह नदी उसी तरह से आम लोगों की जरूरतें पूरी करेगी जैसा इसके घाटों के बारे में प्राचीन साहित्य में बताया गया है।


स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए बेमिसाल शहर

उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए अयोध्या को सभी के लिए स्वीकार्य बनाया गया है। सड़के ऐसी बनाई गई हैं, जिससे व्हीलचेयर्स के इस्तेमाल में किसी तरह की दिक्कत नहीं आए। शहर में जगह-जगह लोगों के बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था की गई है। इससे लोग इस शहर से जुड़ाव महसूस कर सकेंगे। नालियों को ढकने के साथ ही शहर में एक तरह के साइनेज लगाए गए हैं। अपनी सुविधाओं और साधनों की बदौलत यह स्थानीय लोगों के साथ ही बाहर से आने वाले लोगों के लिए एक जीवंत शहर बन गया है।

हर वर्ग के लोगों के ठहरने के लिए समुचित व्यवस्था

कुकरेजा ने बताया कि विजन डॉक्युमेंट में यह स्पष्ट बताया गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश के मामले में सरकार और प्राइवेट सेक्टर के संसाधनों के इस्तेमाल में संतुलन बनाना जरूरी होगा। अगर आप इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए सिर्फ सरकार पर निर्भर है तो आपकी सफलता पर सवालिया निशान लग सकते हैं। अयोध्या में हर वर्ग के लोगों के ठहरने के लिए समुचित सुविधाएं बनाई गई हैं। इनमें होमस्टे भी शामिल है। अयोध्या के मास्टरप्लान के लिए काफी रिसर्च की गई।

दुनिया के कई शहरों के अध्ययन के बाद बना मास्टरप्लान

उन्होंने बताया, "हमने वेटिकन सिटी, अंगकोर वाट और पशुपतिनाथ जैसे वैश्विक शहरों को देखा। हमने इन्हें समझने की कोशिश की। इनकी कमियों और खासियतों पर विचार किया। हमने यह देखा कि कौन सी चीज अच्छी है और किससे बचा जा सकता है।" उन्होंने बताया कि कई भारतीय धार्मिक शहरों को भी हमने देखा। हमारे लिए अयोध्या के स्थानीय लोगों और पर्यटकों की जरूरतों का ध्यान रखना जरूरी था। कोविड की महामारी के बाद देश के कई धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है। ढांचागत सुविधाओं के विकास के बाद अयोध्या भी इन शहरों में से एक होगा। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले और बाद श्रद्धालुओं की संख्या में उछाल देखने को मिला है।

MoneyControl News

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First Published: Jan 24, 2024 5:58 PM

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