Capex News: वित्त वर्ष 2024 के लिए सरकार ने जितनी पूंजी खर्च करने का अनुमान लगाया था, वास्तव में खर्च उससे कम हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्यों ने खर्च कम किया और इस साल हो रहे लोकसभा चुनाव का भी असर पड़ा है। हालांकि सरकार के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर के रिवाज्ड टारगेट से यह हल्का-फुल्का ही कम रहेगा। राज्यों ने इंफ्रा लोन का यूटिलाइजेशन कम किया और चुनावों के चलते खर्च में सुस्ती आई है। वित्त वर्ष 2024 के लिए सरकार ने 9.5 लाख करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया था। यह रिवाइज्ड टारगेट था।
11 महीने में खर्च हुए 8.05 लाख करोड़ रुपये
रिवाज्ड टारगेट के हिसाब से पूरे वित्त वर्ष 2024 में 9.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करने थे जिसमें से 8.05 लाख करोड़ रुपये यानी 85 फीसदी 11 महीने में खर्च हुए। फरवरी की बात करें तो पिछले साल की फरवरी की मुकाबले इस बार की फरवरी में कैपिटल एक्सपेंडिचर चार गुना और जनवरी 2024 के मुकाबले करीब दोगुना खर्च हुआ। अब मार्च में खर्च का आंकड़ा इस महीने के आखिरी तक आ जाएगा।
ICRA ने मार्च में ही लगा लिया था अनुमान
मार्च में इक्रा की चीफ इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा था कि पूरे वित्त वर्ष के कैपिटल एक्सपेंडिचर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मार्च में करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। पिछले साल मार्च में 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए थे यानी कि इस बार कम खर्च में भी कैपेक्स टारगेट पूरा हो जाता लेकिन अदिति नायर ने अनुमान लगाया था कि चुनाव की आचार संहिता लग जाने के चलते यह हासिल नहीं हो पाएगा। हालांकि ध्यान दें कि चुनावी आचार संहिता मार्च के मध्य से लगी थी यानी कि इसका असर सिर्फ 15 दिनों पर पड़ा। महामारी के बाद से ही सरकार इंफ्रा पर खर्च बढ़ा रही है ताकि पब्लिक एक्सपेंडिचर की क्लालिटी सुधारी जा सके। इस वित्त वर्ष 2025 के लिए सरकार ने 11.1 लाख करोड़ रुपये इसके लिए आवंटित किए हैं जो पिछले वित्त वर्ष के बजटीय आवंटन से 11.1 फीसदी और रिवाइज्ड एस्टीमेट से 16.9 फीसदी अधिक है।