रिजर्व बैंक लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला कर सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इनफ्लेशन रिजर्व बैंक (RBI) के कंफर्ट जोन में है, लिहाजा अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रलबैंक द्वारा बेंचमार्क रेट में बढ़ोतरी के बावजूद भारत का केंद्रीय बैंक आगामी मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में ब्याज दरों में शायद बढ़ोतरी नहीं करे।
रिजर्व बैंक ने पिछले साल मई में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया था । हालांकि, इस साल फरवरी के बाद इसमें बढ़ोतरी नहीं की गई है। फरवरी में रेपो रेट को 0.25 पर्सेंट बढ़ाकर 6.50 पर्सेंट कर दिया गया था। अप्रैल और जून की मॉनिटरी पॉलिसी में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। रिजर्व बैंक के गवर्नर की अगुवाई में 6 सदस्यों वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 8-10 अगस्त को हो सकती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास 10 अगस्त को पॉलिसी को लेकर ऐलान करेंगे।
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने बताया, 'हम उम्मीद करते हैं कि रेपो रेट को लेकर स्थिरता जारी रहेगी। इसकी वजह यह है कि इनफ्लेशन फिलहाल 5 पर्सेंट से कम है। हालांकि, दाल और सब्जियों की कीमत में बढ़ोतरी से आने वाले समय में तेजी देखने को मिल सकती है। बहरहाल, ब्याज दर में फिलहाल स्थिरता बनी रह सकती है।'
कोटक महिंद्रा बैंक की चीफ इकनॉमिस्ट उपासना भारद्वाज ने बताया, '2,000 रुपये के नोट को वापस लेने के बाद लिक्विडिटी की हालत अनुकूल हो गई है, लिहाजा हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक फिलहाल ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।'
भारद्वाज का कहना था कि सबकी नजरें डोमेस्टिक इनफ्लेशन और ग्लोबल ट्रेंड्स पर टिकी होंगी, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका फेडरल रिजर्व द्वारा अब ब्याज दरों में ज्यादा बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछले हफ्ते ब्याज दर में 0.25 पर्सेंट की बढ़ोतरी की है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने भी ब्याज दर 0.25 पर्सेंट बढ़ाई है।