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GDP में 7 से 7.5% का ग्रोथ भी इस साल बुरा नहीं, महंगाई अभी बनी रहेगी: PM के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष

डॉ. बिबेक देबरॉय ने कहा कि जब तक एक्सपोर्ट में तेजी नहीं आता, तब तक देश की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ के 9 फीसदी रहने की उम्मीद करना गलत होगा

अपडेटेड Jun 15, 2022 पर 7:13 PM
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डॉ. बिबेक देबरॉय, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय (Dr. Bibek Debroy) का कहना है कि देश की रियल GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) ग्रोथ अगर इस साल 7 से 7.5 फीसकी के बीच रहती है, तो इसे संतोषजनक कहा जा सकता है। देबरॉय ने विभिन्न एजेंसियों की भारत की रियल जीडीपी के अनुमान को लेकर आई रिपोर्ट के आधार पर यह बातें कहीं।

उन्होंने बुधवार 15 जून को आयोजिक एक कार्यक्रम में कहा, "कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन जंग के बावजूद भारत ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है। इस साल बेस इफेक्ट का थोड़ा असर है क्योंकि कॉन्टैक्ट सर्विसेज में रिकवरी हो रही है।"

बिबेक देबरॉय का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब वर्ल्ड बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया है, जो पहले 8.5 फीसदी था।


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पिछले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ कितनी रही, इसे लेकर अभी अंतिम आंकड़े नहीं आए हैं। हालांकि सरकारी एजेंसियों का अनुमान है कि पिछले साल भारत की जीडीपी 8.7 फीसदी की दर से बढ़ी थी। इस अधिक ग्रोथ के पीछे एक मुख्य वजह लो बेस भी है क्योंकि वित्त वर्ष 2021 में कोरोना महामारी के चलते भारत की जीडीपी ग्रोथ बस 6.6 फीसदी रही थी।

ग्लोबल लेवल पर इकोनॉमी को लेकर कमजोर आउटलुक, महंगाई में बढ़ोतरी और केंद्रीय बैंकों की तरफ में ब्याज दरों की बढ़ोतरी के चलते भारत की ग्रोथ में कमी आने की चिंता जताई जा रही है।

'कुछ समय तक बनी रहेगी महंगाई'

देबरॉय ने कहा कि फिलहाल देश की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ के 9 फीसदी रहने की उम्मीद करना गलत होगा। ऐसा होने के लिए यह जरूरी है कि एक्सपोर्ट में तेजी आए, जो ग्लोबल लेवल पर डिमांड को देखते हुए कहा जा सकता है कि एक चुनौती हो सकता है।

वहीं महंगाई पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत में फिलहाल जो महंगाई में तेजी आई है उसकी मुख्य वजह कमोडिटी की कीमतों में ग्लोबल लेवल पर आई तेजी है। यह अभी कुछ समय तक जारी रह सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की महंगाई को रोकने के लिए सिर्फ मॉनिटरी पॉलिसी के उपाय काफी नहीं है क्योंकि यह मुख्य रूप से घरेलू मांग से नहीं पैदा हुई है।

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