तिलहन की कीमतों में गिरावट को थामने के लिए सरकार ने सोयाबीन, सूरजमुखी, और पाम तेल के आयात पर ड्यूटी बढ़ा दी है जो आज 14 सितंबर से लागू हो गई है। इस फैसले से किसानों को फायदा मिलेगा क्योंकि घरेलू मार्केट में इनके भाव की गिरावट थम सकती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रिफाइंड तेल के भाव 18 महीने से गिर रहे हैं और अगस्त में इसमें 4.6 फीसदी की गिरावट आई थी। भाव में गिरावट के चलते पाम तेल का आयात तेजी से बढ़ा। इस साल 2024 की पहली छमाही में पाम तेल के आयात में सालाना आधार पर 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। वहीं सूरजमुखी बीज, केसरिया फूल, और कपास के तेल का आयात भी इस दौरान 55 फीसदी बढ़ गया।
किसानों को नुकसान न हो, इसे लेकर वित्त मंत्रालय ने 13 सितंबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया जिसके तहत कच्चे सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को शून्य से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया जो आज से लागू हो गया है। वहीं रिफाइंड तेलों पर इसे 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 32.5 फीसदी कर दिया गया है। इन बदलावों के बाद अब कच्चे सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम तेल पर 5.5 फीसदी की बजाय 27.5 फीसदी और रिफाइंड तेलों पर 13.75 फीसदी की बजाय 35.75 फीसदी की ड्यूटी प्रभावी होगी।
जरूरत का 70 फीसदी तिलहन होता है आयात
भारत में जरूरत का 70 फीसदी तिलहन बाहर से आता है। इससे पहले ड्यूटी कम थी ताकि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के बढ़ते भाव के दौर में उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार न पड़े। हालांकि अब कीमतों में गिरावट के चलते किसानों को घाटा न हो, ऐसे में सरकार ने विपरीत रास्ता पकड़ लिया है। किसानों ने भी इस साल तिलहनों की बुवाई अधिक की है और 12 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक बुवाई का एरिया 1.2 फीसदी बढ़कर 1.92 करोड़ हेक्टेयर पर पहुंच गया है। इसके अलावा सरकार ने एक और फैसला किया है और वह ये कि प्याज पर निर्यात के न्यूनतम भाव की सीमा को वापस ले लिया है जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को फायदा मिलेगा, खासतौर से महाराष्ट्र को जहां इसी साल विधानसभा चुनावे होने हैं।