ब्रिटेन भारत से एक पायदान पिछड़कर अब दुनिया की छठवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी रह गया है। यह लंदन स्थिति सरकार के लिए एक बड़ा झटका है, जो पहले से ही जीवन-यापन की लागत बढ़ने के चलते परेशान चल रही है। दूसरी तरफ कभी इंग्लैंड का उपनिवेश रहा भारत 2021 के आखिरी तीन महीनों में उसको पछड़ाकर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है। यह गणना यूएस डॉलर के आधार पर की गई है।
International Monetary Fund के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में अपनी यह बढ़त और बढ़ाई है। इंटरनेशनल रैकिंग में यूके की यह गिरावट वहां के नए प्रधानमंत्री के लिए एक बुरी खबर है।
बतातें चलें कि ब्रिटेन में कंज़र्वेटिव पार्टी के मेबर सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री Boris Johnson’s के उत्तराधिकारी का चुनाव करेंगे। उम्मीद है कि इस दौड़ में फॉरेन सेक्रेटरी लिज़ ट्रस (Liz Truss) पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak)को पीछे छोड़कर प्रधानमंत्री पद की रेस जीत सकते हैं। ऐसे में जो भी ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनेगा उसको देश में पिछले 4 दशक की सबसे ज्यादा महंगाई और संभावित मंदी का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कहा है कि यह मंदी वित्त वर्ष 2024 तक रह सकती है।
वहीं, दूसरी तरफ जानकारों का अनुमान है कि इस साल भारत की इकोनॉमी की ग्रोथ दर 7 फीसदी से ज्यादा रह सकती है। इस तिमाही में भारत के इक्विटी मार्केट में भी जोरदार उछाल देखने को मिला है। भारत के इक्विटी मार्केट ने दुनिया के दूसरे बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है जिसके कारण MSCI इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत की इक्विटीज का वेटेज चीन के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
डॉलर में देखें तो मार्च तिमाही में भारत की इकोनॉमी 854.7 अरब डॉलर थी । वहीं इसी अवधि में ब्रिटेन की इकोनॉमी 816 अरब डॉलर थी। यह गणना IMF के आंकड़ों और Bloomberg टर्मिनल पर उपलब्ध ऐतिहासिक एक्सचेंज रेट के आधार पर की गई है।