यूनियन पावर एंड न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्टर आरके सिंह ने मनीकंट्रोल को बताया है कि भारत सरकार देश की जलविद्युत क्षमता को दोगुना करने की योजना पर काम कर रही है। मनीकंट्रोल के पॉलिसी नेक्स्ट समिट में बोलते हुए आरके सिंह ने कहा कि इससे भारत की जलविद्युत क्षमता 47,000 मेगावाट (मेगावाट) से बढ़कर कम से कम 90,000 (मेगावाट) हो जाएगी। उन्होंने कहा, "जब मैं इसमें इस मंत्रालय में शामिल हुआ तो भारत की जलविद्युत उत्पादन क्षमता मरणासन्न स्थिति में थी। इसमें कोई ग्रोथ नहीं दिख रही थी। हमने इसे फिर से शुरू किया। अब हमारे पास लगभग 47,000 मेगावाट की स्थापित जलविद्युत उत्पादन क्षमता है।"
वर्तमान में जलविद्युत भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का केवल 11 प्रतिशत
गौरतलब है कि वर्तमान में जलविद्युत भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का केवल 11 प्रतिशत है। मनीकंट्रोल द्वारा देखे गए सीईए आंकड़ों के मुताबिक 1962-63 में, जलविद्युत भारत की संपूर्ण स्थापित क्षमता का 52.78 प्रतिशत था। जल विद्युत को लगभग स्वच्छ ऊर्जा स्रोत माना जाता है। हालांकि इसमें कुछ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है, लेकिन यह पर्यावरण को कोयले से चलने वाले संयंत्रों से उत्पन्न होने वाली बिजली की तुलना में बहुत कम नुकसान पहुंचाता है।
18,000 मेगावाट की दूसरी पनबिजली परियोजनाएं निर्माणाधीन
केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने यह भी बताया कि वर्तमान में 18,000 मेगावाट की दूसरी पनबिजली परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा 13,000 मेगावाट की परियोजनाएं सर्वेक्षणों और जांच के अधीन हैं। उन्होंने कहा, "देश की मौजूदा जलविद्युत उत्पादन क्षमता 47,000 मेगावाट है, जिसे मैं दोगुना करने जा रहा हूं। भारत की जलविद्युत क्षमता 90,000 मेगावाट से 100,000 मेगावाट तक पहुंच जाएगी।"
31,000 मेगावाट की परियोजनाएं पाइपलाइन में
इस समय कुल 31,000 मेगावाट की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं। मंत्री जी ने भारत की पनबिजली क्षमता को दोगुना करने के लिए शेष परियोजनाओं का खुलासा नहीं किया। हालांकि, बिजली मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि शेष कैपिसिटी के लिए संभावित स्थलों की पहचान कर ली गई है।
अरुणाचल प्रदेश और असम में निर्माणाधीन 2,000 मेगावाट की सुबनसिरी लोअर परियोजना दिसंबर तक पूरी तरह से चालू होने की संभावना है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में देरी से चल रही पार्बती-II परियोजना की दो इकाइयां अप्रैल में काम शुरू कर देंगी।
जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण रुकी तपोवन विष्णुगाड परियोजना के भाग्य का फैसला भी इस साल अदालतों में होने की संभावना है। वित्त वर्ष 2025 कुछ दूसरी छोटी जलविद्युत परियोजनाओं के भी चालू होने की संभावना है।
सरकार की एक दूसरी परियोजना अरुणाचल प्रदेश में 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देश्यीय जलविद्युत परियोजना है। इसमें कम से कम एक दशक की देरी हो चुकी है। अब इसके 2032 में चालू होने की संभावना है। दिबांग परियोजना शुरू होने के बाद भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी। यहां लगभग 288 मीटर की ऊंचाई के साथ भारत का सबसे ऊंचा बांध भी होगा।
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार की 1,920 मेगावाट की कोयना परियोजना भारत में सबसे बड़ी पूर्ण जलविद्युत परियोजना है। रिन्यूएबल एनर्जी के जरिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा भारत भू-राजनीतिक कारणों से भी पूर्वोत्तर राज्यों में अपनी जलविद्युत क्षमता बढ़ाने पर विचार कर रहा है। चीन ब्रह्मपुत्र के विस्तार पर एक मेगा बांध बनाने की होड़ में है, जिसे वहां यारलुंग त्संगपो कहा जाता है, जो उसके क्षेत्र से होकर गुजरता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अकेले ब्रह्मपुत्र भारत की 40 फीसदी जलविद्युत क्षमता को पूरा कर सकता है।