अंतरिम बजट से कुछ दिन पहले जनवरी में मनीकंट्रोल ने 50 से ज्यादा भारतीय सीईओ के बीच एक सर्वेक्षण करवाया है। इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि अधिकांश बिजनेस हेड्स को 2024 की पहली छमाही में ब्याज दरें और महंगाई के वर्तमान स्तरों के आसपास ही बने रहने की उम्मीद है। सर्वेक्षण के मुताबिक 53 उत्तर देने वालों में से 62 फीसदी सीईओ का मानना है कि 2024 की पहली छमाही में महंगाई स्थिर रहेगी। हालांकि दूसरे 23 फीसदी का मानना है कि कीमतें धीमी गति से बढ़ेंगी।
शेष 15 फीसदी उत्तर देने वालों में से आधे या तो महंगाई बढ़ने की उम्मीद करते हैं या फिर वे पक्के तौर पर यहां या न करने की स्थिति में नहीं हैं। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उम्मीद है कि 2024 में हेडलाइन खुदरा महंगाई में गिरावट होगी।
12 जनवरी को जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में रिटेल महंगाई (सीपीआई) बढ़कर चार महीने के हाई 5.69 फीसदी पर पहुंच गई है। हालांकि, आरबीआई के पूर्वानुमानों के मुताबिक वर्ष की अंतिम तिमाही में 4.7 फीसदी तक बढ़ने से पहले छोटे बेस के कारण जुलाई-सितंबर 2024 में रिटेल महंगाई घटकर 4 फीसदी पर रहने की उम्मीद है। दूसरी ओर थोक महंगाई में 2024 में बढ़त होने की उम्मीद है।
ग्लोबल कमोडिटी कीमतों में गिरावट के चलते 2023 में थोक महंगाई (डब्ल्यूपीआई) में सालाना आधार पर तेजी गिरावट देखने को मिली थी। जनवरी-नवंबर 2023 में यह लगभग पूरी तरह से सपाट रही थी। वहीं, साल की दूसरी छमाही में थोक महंगाई निगेटिव जोन में थी। बता दें कि दिसंबर के लिए WPI महंगाई के आंकड़े 15 जनवरी को दोपहर में जारी किए जाएंगे।
इस सर्वे में शामिल बैंकिंग, एफएमसीजी और स्टार्टअप जैसे विविध कारोबारों का नेतृत्व वाले CEOs का कहना है कि महंगाई को नियंत्रण में रखना सरकार के लिए एक बड़ी प्राथमिकता बनी रहेगी।
मनीकंट्रोल के इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद द्वारा किए गए ताजे बिजनेस इन्फ्लेशन एक्सपेक्टेशंस सर्वे के अनुरूप ही हैं। 6 जनवरी को जारी सर्वेक्षण में पाया गया है कि नवंबर 2023 में भारतीय व्यवसायों की एक साल आगे की महंगाई की उम्मीदें घटकर 4.04 फीसदी पर रही हैं। लेकिन फर्मों की उम्मीदें पिछले छह महीनों से औसतन 4.2 फीसदी के आसपास बनी हुई हैं।
ब्याज दरों में भी स्थिरता की उम्मीद
आरबीआई ने बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए 2022-23 में ब्याज दरों में 250 बोसिस प्वाइंट (फीसदी) की बढ़ोतरी के बाद फरवरी 2023 से पॉलिसी रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बनाए रखा है। इस सर्वे में शामिल भारतीय सीईओ को उम्मीद है कि आरबीआई एमपीसी आने वाले महीनों में दरों में कोई बदलाव नहीं करेगी। सर्वेक्षण में शामिल 59 फीसदी सीईओ का मानना है कि ब्याज दरों में अगले छह महीनों में कोई बदलाव नहीं होगा जबकि 30 फीसदी को उम्मीद है कि इस अवधि के दौरान इसमें कटौती की जा सकती है। वहीं, लगभग 11 फीसदी सीईओ की राय है कि ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। लेकिन इसमें कितनी बढ़त होगी इसके बारे में वे निश्चित नहीं हैं।
गौरतलब है कि तमाम अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई 2024 के मध्य के आसपास रेपो दर में कटौती करने पर विचार कर सकता है क्योंकि रिटेल महंगाई 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य तक पहुंचने के करीब है। बार्कलेज के राहुल बाजोरिया का कहना है कि आरबीआई 2024 की दूसरी छमाही में रेपो रेट में 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है।
हालांकि इस सर्वे में शामिल सीईओ को नहीं लगता कि 2024 की पहली छमाही में ब्याज दरों में बदलाव होगा लेकिन उनको उम्मीद है कि विभिन्न तरीकों से वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाने की कोशिश की जाएगी। इसमें नो-योर-कस्टमर (केवाईसी) चेक के लिए एकल विंडो भी शामिल है। इसके अलावा टियर 2-3 क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा उदार कृषि ऋण और कम लागत वाली फाइनेंशियल स्कीमें भी लाई जा सकती हैं।