Hyderabad cybercrime: हैदराबाद में साइबर ठगी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां जालसाजों ने खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर दो वरिष्ठ नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी और आतंकवाद जैसे गंभीर मामलों में फंसाने की धमकी दी। फिर नकली “डिजिटल गिरफ्तारी” का डर दिखाकर जालसाजों ने उनसे 2.2 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की।
मोकिला के एक 60 वर्षीय व्यवसायी को 27 नवंबर को एक धोखेबाज ने फोन किया, जो खुद को बेंगलुरु स्थित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र का कर्मचारी बता रहा था। उसने दावा किया कि पीड़ित के खिलाफ बेंगलुरु में एक महिला को परेशान करने का मामला दर्ज किया गया है, क्योंकि उसके नाम से एक सिम कार्ड से अश्लील मैसेज भेजे गए थे। फोन करने वाले ने बुजुर्ग व्यवसायी को बेंगलुरु के नकली पुलिस अफसर तिरुमला रामाराव, पुलिस कंट्रोल रूम के फर्जी कर्मचारी शिवा प्रसाद और नकली CBI अधिकारी दया नाइक से भी कॉल पर जोड़ दिया।
उन्होंने पीड़ित को यकीन दिलाया कि वह एक अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी और धन शोधन मामले में संदिग्ध है। फिर उन्होंने उसे "डिजिटल गिरफ्तारी" से पहले एक वीडियो कॉल में शामिल होने के लिए कहा और 90 दिनों की हिरासत की धमकी दी। उन्होंने दावा किया कि मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है। डर और धमकी के हथकंडे अपनाकर, ठगों ने पीड़ित की निजी जानकारी इकट्ठा की और उसे कई बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा, यह कहकर कि RBI को अंतरराष्ट्रीय लेन-देन की जांच करनी है।
व्यवसायी ने 28 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच कई जैक्शन्स में कुल 1.82 करोड़ रुपये ठगों के बताए खातों में भेज दिए। लेकिन जब कॉल करने वालों ने जवाब देना बंद कर दिया, तो उन्होंने 3 दिसंबर को साइबराबाद पुलिस से संपर्क किया।
एक अन्य मामले में, सोमाजीगुडा निवासी 74 वर्षीय एक बुजुर्ग से भी ठगों ने खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर 39.3 लाख रुपये ठग लिए। 21 नवंबर को उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को 'भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड' का 'वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी' राज शर्मा बताया। पीड़ित पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया और फिर यह कॉल मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन के एक 'सब-इंस्पेक्टर' संदीप राव नामक एक अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर कर दी गई।
ठगों में एक महिला कविता भी शामिल थी, जो खुद को सीनियर पुलिस अफसर बताती थी। उसने पीड़ित को यकीन दिलाया कि उसे “RBI वेरिफिकेशन” के लिए पैसे ट्रांसफर करने होंगे। ठग लगातार उसे गिरफ्तारी वारंट की धमकी देते रहे और नकली कागजात, जैसे फर्जी FIR, भी भेजते रहे।
लेकिन जब साइबर अपराधियों ने 3 दिसंबर को पहले दिए गए 39.3 लाख के अलावा 10 लाख और मांगे, तो पीड़ित ने शहर के साइबर अपराध पुलिस से संपर्क किया।
पीड़ितों की शिकायतों के आधार पर, साइबराबाद और हैदराबाद साइबर अपराध पुलिस ने 3 दिसंबर को बीएनएस और आयकर अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामले दर्ज किए।