भारत के सरकारी बैंकों ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में 3.66 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को राइट ऑफ (Write-Off) कर दिया। भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने 5 अक्टूबर को मनीकंट्रोल द्वारा दायर किए गए आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है। वहीं, आंकड़ों के मुताबिक इन बैंकों ने इस दौरान सिर्फ 1.9 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है। इसका मतलब है कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में पब्लिक सेक्टर के सभी बैंकों द्वारा राइट ऑफ गया कर्ज रिकवर की गई कुल रकम से अधिक है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल रिकवरी FY21 में 58,494 करोड़ रुपये से बढ़कर 67,162 करोड़ रुपये हो गई। इसी अवधि के दौरान, कुल राइट ऑफ 1.18 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 1.31 लाख करोड़ रुपये रहा।
RTI आंकड़ों से पता चलता है कि FY23 में केनरा बैंक को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों में रिकवरी की तुलना में अधिक कर्ज राइट ऑफ किए गए। उदाहरण के लिए, देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 13,024 करोड़ रुपये की रिकवरी की तुलना में 24,061 करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ कर दिए।
बैंक ऑफ बड़ौदा का कुल राइट ऑफ लोन 17,998 करोड़ रुपये रहा, जबकि इसकी कुल रिकवरी 6,294 करोड़ रुपये थी। दूसरी ओर, केनरा बैंक ने FY23 में कुल 11,919 करोड़ रुपये की रिकवरी की और 4,472 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया। केंद्रीय बैंक ने पहले बैंकों से बैड लोन की रिकवरी के लिए तेजी के साथ काम करने को कहा था।
RBI के डिप्टी गवर्नर ने राइट ऑफ लोन की वसूली पर दिया था जोर
RBI के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने अगस्त 2023 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में बैंकों को राइट ऑफ किए गए लोन की वसूली के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करने की जरूरत पर बल दिया। स्वामीनाथन ने MPC मीटिंग के बाद एक कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम चाहेंगे कि बैंक अपने प्रयासों को दोगुना करें और अधिक वसूली करें।"
वित्त मंत्रालय ने 4 दिसंबर को लोकसभा को बताया कि पिछले पांच सालों में शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों (SCB) ने करीब 10.6 लाख करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ कर दिए। मंत्रालय ने कहा कि इनमें से करीब आधे लोन बड़े इंडस्ट्रीज और सर्विस सेक्टर के थे। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में कहा, “FY23 में बैंकों द्वारा कुल 2.09 लाख करोड़ रुपये के लोन राइट ऑफ किए गए, जिनमें से 52.3 फीसदी बड़े इंडस्ट्रीज और सर्विसेज से जुड़े थे।”
बता दें कि राइट ऑफ को कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया जाना भी कहते हैं। RBI के नियमों के अनुसार कर्ज वसूली नहीं हो पाने की स्थिति में इसे राइट ऑफ कर दिया जाता है। बैंक ऐसे कर्ज को डूबा हुआ मानकर चलते हैं। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि कर्ज माफ कर दिया गया है। राइट ऑफ के बाद बैंकों के बैंलेसशीट में इस लोन का जिक्र नहीं होता है। राइट ऑफ के बावजूद बैंक की तरफ से लोन वसूली की कार्रवाई जारी रहती है।