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RBI Policy Today: आरबीई रेपो रेट को बरकरार रख सकता है, जानिए एक्सपर्ट्स की राय

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि दिसंबर में ही इसमें कुछ ढील की गुंजाइश है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड रिटेल इनफ्लेशन चार फीसदी (दो फीसदी ऊपर या नीचे) पर बनी रहे

अपडेटेड Oct 09, 2024 पर 9:14 AM
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की इस हफ्ते होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कटौती की संभावना नहीं है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की इस हफ्ते होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कटौती की संभावना नहीं है। एक्सपर्ट्स ने यह राय जताई है। उनका कहना है कि रिटेल इन्फ्लेशन अब भी चिंता का विषय बनी हुई है और पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और कमोडिटी कीमतों पर पड़ेगा। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने RBI की रेट-सेटिंग पैनल – मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) का पुनर्गठन किया। इसमें तीन नए नियुक्त बाहरी सदस्यों के साथ पुनर्गठित कमेटी सोमवार को अपनी पहली बैठक शुरू करेगी। MPC के चेयरमैन आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास बुधवार (नौ अक्टूबर) को तीन दिन की बैठक के नतीजों की घोषणा करेंगे।

फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर 

भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि दिसंबर में ही इसमें कुछ ढील की गुंजाइश है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड रिटेल इनफ्लेशन चार फीसदी (दो फीसदी ऊपर या नीचे) पर बनी रहे।


वर्तमान में एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि RBI द्वारा अमेरिकी फेडरल रिजर्व का के रास्ते पर चलने की संभावना नहीं है, जिसने बेंचमार्क दरों में 0.5 फीसदी की कमी की है। इसके अलावा, RBI कुछ अन्य विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों का भी अनुसरण नहीं करेगा, जिन्होंने ब्याज दरों में कमी की है।

RBI Policy पर एक्सपर्ट्स की ये है राय

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, “हमें रेपो रेट या MPC के रुख में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है। इसका कारण यह है कि सितंबर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति पांच फीसदी से ऊपर रहेगी और मौजूदा कम मुद्रास्फीति बेस इफेक्ट के कारण है। इसके अलावा, कोर इनफ्लेशन धीरे-धीरे बढ़ रही है।”

सबनवीस ने कहा कि इसके अलावा, हाल ही में ईरान-इजराइल संघर्ष और भी गहरा सकता है, और यहां अनिश्चितता है। “इसलिए, नए सदस्यों के लिए भी ब्याज दरों को बरकरार रखना सबसे संभावित विकल्प है। मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को10-20 bps तक कम किया जा सकता है और GDP अनुमान में किसी बदलाव की संभावना नहीं है।"

Icra की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि शुरुआती पहली तिमाही में GDP ग्रोथ एमपीसी के अनुमान से कम रहने और दूसरी तिमाही में रिटेल इनफ्लेशन के कम रहने के अनुमान को देखते हुए हमारा मानना ​​है कि अक्टूबर 2024 की पॉलिसी रिव्यू में रुख को बदलकर ‘न्यूट्रल’ करना उचित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद रेपो रेट में दिसंबर 2024 और फरवरी 2025 में 0.25 फीसदी की कटौती हो सकती है।

सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के फाउंडर एवं चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि रियल एस्टेट इंडस्ट्री और डेवलपर कम्युनिटी के साथ घर खरीदार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक संभावित रूप से लगातार दसवीं बार ब्याज दरों को बरकरार रखेगा।

MoneyControl News

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Tags: #RBI

First Published: Oct 06, 2024 7:36 PM

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