भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2022-23 में सकल आधार पर 213 अरब डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) की बिक्री की है। FY22 की तुलना में यह आंकड़ा 120 फीसदी अधिक है। केंद्रीय बैंक ने आज 22 मई को अपने मंथली बुलेटिन में ये आंकड़े जारी किए हैं। बता दें कि विदेशी मुद्रा बिक्री केंद्रीय बैंक के लिए आय का एक अहम स्रोत है। हिस्टोरिकल एवरेज एक्विजिशन कॉस्ट की तुलना में बिक्री मूल्य अधिक होने के कारण इनकी बिक्री पर लाभ होता है।
अर्थशास्त्रियों ने आरबीआई की विदेशी मुद्रा होल्डिंग्स की हिस्टोरिकल एवरेज एक्विजिशन कॉस्ट 62-65 रुपये प्रति डॉलर की रेंज में आंकी है। इस बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की मीडियन मंथली एक्सचेंज रेट 2022-23 में 76.2 से 82.7 के बीच रही। इस तरह, वर्ष भर में प्रत्येक डॉलर की बिक्री से काफी लाभ होता।
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में उथल-पुथल के बाद रुपये की एक्सचेंज रेट में उतार-चढ़ाव को कम करने की कोशिश में आरबीआई ने 2022-23 में बहुत सारे डॉलर बेचे। युद्ध के कारण फाइनेंशियल मार्केट में उतार-चढ़ाव के अलावा, 2022-23 में इंपोर्ट बिल में तेज वृद्धि के कारण रुपया भी काफी दबाव में आ गया क्योंकि ग्लोबल कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि हुई थी।
19 मई को आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल ने डिविडेंड के रूप में 87,416 करोड़ रुपये के ट्रांसफर को मंजूरी दी। यह सरकार को मिलने वाले 48000 करोड़ रुपये से लगभग 40000 करोड़ रुपये अधिक है। यह डिविडेंड आरबीआई द्वारा 2021-22 में सरकार को टांसफर किए गए 30,307 करोड़ रुपये का लगभग तीन गुना है
मासिक आंकड़ों की बात करें तो केंद्रीय बैंक ने नेट बेसिस पर मार्च में 75 करोड़ डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा खरीदी। सकल आधार पर 6.91 अरब डॉलर की खरीद की गई, जबकि बिक्री 6.16 अरब डॉलर की रही। इसके अलावा, आरबीआई बुलेटिन ने दिखाया कि फॉरवर्ड मार्केट में आरबीआई की बकाया स्थिति 2022-23 के अंत तक 23.6 अरब डॉलर की शुद्ध खरीद थी। जबकि फरवरी के अंत में यह आंकड़ा 20.47 अरब डॉलर रहा। आरबीआई की अधिकांश फॉरवर्ड एक्टिविटी '3 महीने से अधिक और 1 वर्ष तक' बकेट में है।