हरियाणा-पंजाब की शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे 55 साल के किसान ने बृहस्पतिवार को कथित तौर पर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन स्थल पर तीन हफ्ते के भीतर इस तरह की यह दूसरी घटना है। मृतक किसान की पहचान तरनतारन जिले के पाहुविंड के निवासी रेशम सिंह के रूप में हुई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए किसान पिछले एक साल से शंभू सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, किसानों ने बताया कि रेशम सिंह को पटियाला के राजिंद्रा अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। किसान नेता तेजवीर सिंह ने बताया कि रेशम सिंह लंबे समय से जारी विरोध प्रदर्शन के बावजूद मुद्दों का समाधान नहीं किए जाने को लेकर केंद्र सरकार से नाखुश थे। उन्हें पटियाला के राजिंद्रक अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई।
इससे पहले भी एक किसान ने दी जान
शंभू सीमा पर 18 दिसंबर को भी एक किसान रणजोध सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। माना जा रहा है कि वह 70 साल के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत से परेशान था। दल्लेवाला 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। पिछले साल 13 फरवरी को सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली कूच करने से रोक दिया था।
मंगलवार को किसान नेताओं ने चेतावनी दी थी कि अगर दल्लेवाल में कुछ अप्रिय हुआ, तो केंद्र स्थिति को संभालने में सक्षम नहीं होगा।
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ के हवाले से PTI ने कहा, “भगवान न करे अगर दल्लेवाल जी के साथ कुछ अनहोनी हो जाए, तो शायद स्थिति केंद्र सरकार के नियंत्रण में नहीं रहेगी।”