अगर आपने सोने (Gold) में निवेश किया है तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि सोना बेचने पर मुनाफा होने पर कैपिटल गेन्स टैक्स (Capital gains tax) चुकाना होता है। अक्सर लोग जरूरत पड़ने पर घर में रखे गोल्ड ज्वैलरी को बेच देते हैं और उससे हुए हानि या लाभ का जिक्र अपने इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं करते हैं। लेकिन ऐसा करना आपको भारी पड़ सकता है और पकड़े जाने पर भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। आपने सोना किसी भी रूप में कभी भी खरीदा हो या घर में रखा पुश्तैनी सोना ही क्यों न बेचा हो, उसे बेचने पर यदि मुनाफा हुआ है तो उस पर कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ेगा। कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं चुकाने पर टैक्स चोरी का ममला बनता है। इसलिए सोना बेचने से होने वाले फायदे या नुकसान का जिक्र ITR फाइल करते समय जरूर करें।

आपने चाहे गोल्ड ज्वैलरी, गोल्ड क्वाइन, गोल्ड बार, गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड बॉन्ड खरीदा है, उसे बेचने पर होने वाले लाभ का जिक्र अपने इनकम टैक्स रिटर्न में जरूरी करें। अगर इन्हें बेचने पर आपको घाटा हुआ हो, तब भी इसका जिक्र ITR में करें। टैक्स पर्पस के लिए इस बात का आकलन जरूर करें कि सोना बेचने से आपको फायदा हुआ है या घाटा। अगर आपने सोना खरीदने के 36 महीने बाद इसे बेचा है तो इस पर 20.8% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long term Capital gains tax) देना होता है। हालांकि, इसमें आपको इंडेक्सेशन बेनिफिट भी मिलता है।

सभी तरह के गोल्ड पर एक जैसा टैक्स

वहीं, अगर सोना खरीदने के 36 महीने के अंदर इसे बेचते हैं तो इससे होने वाले फायदे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Short term Capital gains tax) लगता है। इससे होने वाले प्रॉफिट (profit) को व्यक्ति के टोटल इनकम में जोड़ दिया जाता है और वे जिस टैक्स स्लैब में आते हैं उस हिसाब से टैक्स चुकाना होता है। आपको बता दें कि कैपिटल गेन्स टैक्स का नियम फिजिकल गोल्ड, पेपर गोल्ड और डिजिटल गोल्ड सबके लिए एक जैसा ही है। लॉन्ग टर्म के लिए 20.8% टैक्स देना होता है और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स को कुल आय में जोड़कर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स वसूला जाता है। पिछले एक साल में Gold ने 40% तक रिटर्न दिया है, ऐसे में इस मुनाफे पर टैक्स तो बनता है।

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