Indian Railway: एक ही ट्रैक पर कितनी दूरी पर चलती हैं दो ट्रेनें? जानिए सिस्टम कैसे करता है काम

Indian Railway: रेलवे में एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों के बीच एक दूरी बनाई जाती है। जिससे दो ट्रेनें आपस में न भिड़े। लोको पायलट को भी पता रहता है कि उसके पीछे आने वाली ट्रेन कितनी दूर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों के बीच की दूरी कितनी होती है? इसके लिए कौन सा सिस्टम काम करता है

अपडेटेड Jun 29, 2023 पर 5:02 PM
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Indian Railway: रेलवे में हर छोटी-छोटी चीजों पर खास तौर से ध्यान दिया जाता है।

Indian Railway: भारतीय रेलवे में रोजाना करोड़ों यात्री सफर करते हैं। वहीं, इसके अलावा कई टन सामान इधर से उधर भेजा जाता है। ऐसे में जान-माल की सुरक्षा के साथ ट्रेनों को बेहतर तरीके से चलाना भी रेलवे की जिम्मेदारी है। यही वजह है कि रेलवे में हर एक छोटी-छोटी चीजों पर खास तौर से ध्यान दिया जाता है। जब भी आपने रेलवे में सफर किया होगा, तो देखा होगा कि कई बार आपकी ट्रेन को रोकर दूसरी ट्रेन को पास किया जाता है। जिसके बाद आपकी ट्रेन चलती है। लेकिन, क्या आपको पता है कि अगली ट्रेन आपसे कितने किलोमीटर की दूरी पर चलती है?

बता दें कि ट्रेनों की दूरी को मैनटेन करने के लिए दो सिस्टम का पालन किया जाता है। Absolute Block System और Automatic Block Working है।

Absolute Block System


इस सिस्टम के तहत दो ट्रेनों के बीच 6 से 8 किलोमीटर की दूरी रखी जाती है। ट्रेन जब एक स्टेशन से निकलकर दूसरी स्टेशन को पर पहुंच जाती है। तब स्टेशन मास्टर पिछले स्टेशन मास्टर को फोन से सूचना दे देता है। कई बार स्टेशन की दूरी 10 से 15 किलोमीटर की भी होती है। ऐसे में ट्रेन को निकलने में थोड़ा समय लगता है। वैसे अब सभी जगह ऑटोमेटिक ब्लॉक वर्किंग (Automatic Block Working) सिस्टम को लागू कर दिया गया है।

Automatic Block Working

ऑटोमेटिक ब्लॉक वर्किंग (Automatic Block Working) में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पटरियो के किनारे लगे बॉक्स से ऑटोमेटिक सिग्नल का संचालन किया जाता है, जिसे लोको-पायलट को सिग्नल मिल जाता है। जैसे ही ट्रेन एक सिग्नल से क्रॉस होती है। तब वो सिग्नल लोकोमोटिव के गुजरने के बाद तुरंत लाल हो जाता है। वहीं, जब ट्रेन दूसरे सिग्नल को क्रॉस करेगी, तब पिछला सिग्नल पीला हो जाता है। इसके बाद ट्रेन जैसे ही तीसरे सिग्नल को भी क्रॉस करती है। तब पिछला सिग्नल डबल पीली बत्ती दिखाएगा। यानी पीछे से आ रही ट्रेन 50 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकती है।

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हर जगह नहीं है लागू

रेलवे का यह सिस्टम हर जगह लागू नहीं हो सका है। ऐसे में अभी कुछ जगहों पर दो स्टेशनों की बीच की दूरी को देखकर सिग्नल दिया जाता है। ऑटोमेटिक ब्लॉक वर्किंग हर जगह लागू हो गया, तो इससे ट्रेनों को लेट होने से बचाया जा सकेगा।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

Tags: #IRCTC

First Published: Jun 29, 2023 5:02 PM

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