भारत की थोक महंगाई दर (WPI) में गिरावट जारी रहने की संभावना है। इस गिरावट में बेस इफेक्ट का सबसे अहम किरदार होगा। बता दें कि पिछले साल अप्रैल महीने में WPI 15.1 फीसदी पर रही थी। WPI में पिछले कुछ समय से लगातार गिरावट देखने को मिली है। यह मार्च 2023 में 1.34 फीसदी पर आ गई थी। जबकि फरवरी में यह 3.85 फीसदी और जनवरी में 4.53 फीसदी पर रही थी। पिछले महीने मार्च में WPI महीने दर महीने आधार पर लगभग सपाट रही थी।
अप्रैल में खुदरा महंगाई में भी आई गिरावट
मार्च 2023 में प्राइमरी आर्टिकल की महंगाई में 1.16 फीसदी पर रही थी। जबकि फ्यूल और पॉवर और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट की महंगाई 1.26 फीसदी और 0.28 फीसदी पर रही थी। जानकारों का कहना है कि थोक महंगाई दर में गिरावट से खुदरा मंहगाई दर में भी कमी आएगी। गौतरलब है कि अप्रैल 2023 में खुदरा महंगाई की दर 4.70 फीसदी पर रही है, जो पिछले 18 महीने का सबसे निचला स्तर है। अप्रैल में खुदरा महंगाई में आई गिरावट में सबसे बड़ा योगदान बेस इफेक्ट का रहा है।
RBI मौद्रिक नीतियों के निर्धारण में रिटेल महंगाई के स्तर को काफी अहमियत
यह भी बतातें चलें कि RBI मौद्रिक नीतियों के निर्धारण में रिटेल महंगाई के स्तर को काफी अहमियत देता है। अप्रैल में खुदरा महंगाई में गिरावट का मतलब है कि आरबीआई जून की अपनी पॉलिसी में ब्याज दरों में यथास्थिति बनाए रख सकता है। आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने अप्रैल के अपनी पॉलिसी रिव्यू में कहा था कि दरों में बढ़त पर विराम को स्थाई नहीं मानना चाहिए। आरबीआई बदलती परिस्थितियों के हिसाब से निर्णय लेगा। हालांकि अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत में ब्याज दरों में बढ़त का चक्र अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। यहां से अब दरों में कटौती देखने को मिल सकती है।
अप्रैल में रिटेल महंगाई में गिरावट
सरकार द्वारा 12 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत की रिटेल मंहगाई दर लगातार दूसरे महीने तेजी से गिरकर अप्रैल महीने में 18 महीने के निचले स्तर पर आ गई। अप्रैल 2023 में देश की रिटेल महंगाई दर (CPI)4.70 फीसदी पर रही है जो मार्च 2023 में 5.66 फीसदी पर थी। अप्रैल महीने की रिटेल महंगाी दर मोटे तौर पर अनुमानों के मुताबिक ही रही है।